
प्रमाण पत्र वितरित करतीं मेडिकल ऑफिसर डॉ. नेहा गुप्ता व जॉनसंस के पदाधिकारी संदीप जायसवाल।
– फोटो : amar ujala
विस्तार
शिशुओं की उचित देखभाल को लेकर सीतापुर के गुरु कृपा गेस्ट हाउस में हुए कार्यक्रम में लोगों को जागरूक किया गया। अमर उजाला के सहयोग व जॉनसंस बेबी की ओर से बेस्ट पहले पल से कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने नवजात को नाजुक फूल बताते हुए उनकी विशेष देखभाल करने की सलाह दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सीएचसी परसेंडी की मेडिकल ऑफिसर डॉ. नेहा गुप्ता ने दीप प्रज्जवलित कर लिया। जॉनसंस बेबी कंपनी के प्रतिनिधि संदीप जायसवाल ने आशा कार्यकर्ताओं को जॉनसंन के उत्पादों की गुणवत्ता और फायदों के बारे में बताया। उन्होंने बच्चों के लिए उपयोग किए जाने वाले उत्पादों के बारे में जानकारी दी। कहा, बच्चे फूल समान होते हैं। उनकी देखभाल बड़ी जिम्मेदारी है। आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आशा हर मां और उसकी संतान की सबसे बड़ी सुरक्षाकर्मी है, जो हमेशा उनका ध्यान रखती है।
मातृ शक्ति को ताकत देने में आशा बहनों की अहम भूमिका है। उनके सहारे ही बच्चे पौधे से पेड़ बनते हैं। आशाओं को बुलाकर उन्हें सम्मान देना और उनके साथ इस तरह की चर्चाएं होना घर-घर तक सकारात्मक संदेश पहुंचाती हैं। कार्यक्रम में आशाओं ने ऊर्जा भरने का काम किया है।
नवजातों के जीवन से जुड़ी बारीकियों को समझकर आशा बहनें अब घर-घर तक यह संदेश पहुंचाएंगी। इस तरह के कार्यक्रम होते रहने चाहिए। कार्यक्रम में खखैराबाद, परसेंडी, एलिया और हरगांव आदि विकास खंडों की 400 से अधिक आशा कार्यकर्ता शामिल रहीं। संचालन आयुषी रस्तोगी ने किया।
शिशुओं का रखें विशेष ख्याल
डॉ. नेहा गुप्ता ने शिशुओं की देखभाल के विशेष तौर-तरीके बताए। उन्होंने कहा कि नवजात की त्वचा का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। इसके लिए केमिकल रहित प्रसाधनों का प्रयोग किया जाना आवश्यक है। नवजातों को मां का दूध पिलाना सबसे अच्छा पोषक तत्व है। मां के दूध में संपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो शिशु के विकास में सहायक होते हैं। माताओं को दूध पिलाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिये। जैसे सिर ऊंचा रखना, दूध पिलाने के बाद पीठ पर थपकी देकर डकार दिलाना व शिशु को गोदी के लिए उठाते समय सर पर हाथ लगाकर उठाना। डायपर या नैप्पी पैड का इस्तेमाल अधिक समय तक न करना। गीले नेप्पी पैड की वजह शिशुओं में खुजली व रेसेज की शिकायत देखने को मिलती है। मालिश करना शिशु की मांस पेशियों को व विकास करने में सहायक होता है। जिसके लिए केमिकल रहित तेल का इस्तेमाल करना लाभदायक रहता है।