
भेड़िए के हमले में बालिका की मौत की मां का ढांढस बंधातीं डीएम
– फोटो : सूचना विभाग
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साहब हमारी ग्राम पंचायत औराही में ही तीन मार्च को पहली बार भेड़िया ने हमला किया था। इसके बाद गांव में बड़ी-बड़ी गाड़ियों का रेला उमड़ा था। अधिकारियों ने बिजली, सौर ऊर्जा, दरवाजे और सुरक्षा के प्रबंध के वादे किए थे। वन टीमें भी आईं और गोला-पटाखा दिया, लेकिन अगस्त महीने में हुई बारिश से रास्ते पर पानी भर गया। इसके बाद एक महीना बीतने को है। कोई गांव नहीं आया है। करीब 450 लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। बिजली के खंभों पर प्रकाश की भी व्यवस्था नहीं है। रातभर जाग कर टार्च व लाठी के सहारे परिजनों की सुरक्षा कर रहे हैं।
यह आपबीती अमर उजाला टीम से औराही निवासी नीरज कुमार, अवधेश, राहुल निषाद व प्रवीण ने बयां की। टीम ने कुछ और गांवों की भी पड़ताल की। प्रस्तुत है अमित पांडेय, जितेन्द्र दीक्षित, वीरेन्द्र श्रीवास्तव, पुनीत चौरसिया व शिवाजी अवस्थी की रिपोर्ट…।
बेबसी: रास्ता सही हो तो हमारी सुरक्षा भी हो
वर्मापुरवा में गांव के बाहर रखवाली कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सुरक्षा के लिए कोई टीम नहीं आती है। रास्ते पर भरे पानी के चलते प्रशासनिक अधिकारी भी यहां आने से कतरा रहे हैं। डीएम मैडम अगर रास्ता सही करवा दें तो हो सकता है हमारी भी सुरक्षा हो जाए। ग्रामीणों ने बताया कि आर्थिक तंगी के चलते कई घरों में दरवाजे भी नहीं लगे हैं।
सिकंदरपुर में मिले पीएसी जवान
हम सात बजे सिकंदरपुर गांव पहुंचे। सन्नाटा रहा। इस दौरान सड़क किनारे दो पीएसी जवान तैनात मिले। गांव की रखवाली में जुटे ग्रामीण भी हाथों में लाठी-डंडा लेकर टहल रहे थे।
सन्नाटे में रास्ते, सिर्फ दिखे बड़े वाहन
सिकंदरपुर से औराजी जाने वाले मार्ग पर शाम 7:20 बजे ही सन्नाटा रहा। औराही पहुंचने तक सिर्फ दो बोलेरो मिलीं, वहीं रास्ते में मिले एक चौराहे पर सारी दुकानें बंद रहीं। लोग घरों में कैद नजर आए।