
Acharya Mithilesh Nandini
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अमर उजाला संवाद कार्यक्रम का पहला सत्र राम मंदिर से राष्ट्र मंदिर विषय पर केंद्रित रहा। इस सेशन में आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा कि हमारी कई पीढ़ियां बीत गईं, लेकिन उन्हें यह अवसर नहीं मिल पाया था। सरयू का एक नाम नेत्रजा है। वे भगवान के नेत्रों से प्रकट हुई हैं। परमात्मा की कृपालता ही सरयू के रूप में प्रवाहित हुई है। अयोध्या ने कई बार आंसू बहाए हैं। 22 जनवरी इकलौती तारीख नहीं है। रामलला के दर्शन कर और आंसू बहाकर अयोध्या ने खुद को धन्य कर दिया है।
आंसुओं ने इस अयोध्या को तीर्थ में परिवर्तित कर दिया है। ईश्वर रचना नहीं है। जगत रचना है। रचा जाता है, नष्ट हो जाता है। ईश्वर सार्वभौम सत्ता है, कभी व्यक्त, कभी अव्यक्त। त्रेता में भगवान ने दशरथनंदन के रूप में अवतार लिया था। कलयुग में रामलला ने फिर से अवतार लिया है और यह अर्चावतार है। यह मनोरथ अवतार है।
22 जनवरी के बाद निरंतर यात्राएं करनी पड़ रही हैं। देश श्रीराम से इस तरह जुड़ा हुआ है, यह पहले अनुभव नहीं हुआ। अभी राजस्थान गया था। वहां लोगों ने कहा कि रामलला अयोध्या में ही नहीं आए, हमारे यहां भी आए। राजा राम लौटकर जब अयोध्या आए और भरत ने जब राज्य उन्हें लौटाया तो कहा कि मां की जिद पर आपने राज्य लौटा दिया था।
अब अवसर है कि मैं आपको यह राज्य लौटा दूं। जब तक नक्षत्र मंडल विद्यमान रहें, तब तक आप इस लोक के शासक होकर विद्यमान रहें। भरत की प्रतिज्ञा कैसे व्यर्थ हो सकती थी। श्रीराम ने उस प्रतिज्ञा को चरितार्थ करने के लिए फिर से अवतार लिया है।