Amazing pink beans grown in Jhansi

कृषि विश्वविद्यालय में विकसित की गई गुलाबी सेम
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने सेम की एक बेमिसाल प्रजाति विकसित की है। तीन प्रदेशों की सेम में मौजूद तत्वों के अध्ययन के बाद चार साल की रिसर्च में वह ऐसी प्रजाति विकसित करने में सफल हो गए हैं, जिसमें एंटीऑक्सीटेंड 8 गुना तक ज्यादा है। लंबे इलाज के बाद दवाओं के दुष्प्रभाव को झेलने वालों या बीमारी से जर्जर हो चुके लोगों के लिए यह सेम संजीवनी जैसी होगी। डॉक्टर ऐसे हर मरीज को एंटीऑक्सीडेंट दवाएं लिखते हैं जो काफी महंगी हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह सेम सामान्य फली की तुलना में आठ गुना तक पौष्टिक होगी। अब केंद्रीय कृषि विवि ने इसे कृषि मंत्रालय में पंजीकरण के लिए भेजा है।

केंद्रीय कृषि विवि ने चार साल पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक से सेम की अलग-अलग प्रजाति को लाकर अपने कृषि फार्म में लगाया था। यहां इन प्रजातियों की 50 लेन बनाकर क्रॉस ब्रीडिंग कराई गई। इसके बाद विवि को गहरे गुलाबी रंग की सेम की प्रजाति प्राप्त हुई। इसे विवि के वैज्ञानिकों ने गुलाबी सेम नाम दिया है। शोध में पाया गया कि जहां देश भर में पैदा होने वाली सेम में एंथोसायनिन पिगमेंट (रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला तरल) एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा 1 से 2 ग्राम होती है, तो वहीं विवि में विकसित इस गुलाबी सेम में यह मात्रा 8.85 ग्राम पाई गई। जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में लाभदायक है।

इसके अलावा विवि ने सेम की फली को परीक्षण के लिए निजी लैब में भी भेजा था। जहां विवि के परिणाम पर मुहर लग गई। अब विवि ने इस सेम को कृषि मंत्रालय में पंजीकरण के लिए भेजा है। इसके बाद इसे राज्य स्तर पर ट्रायल के लिए लखनऊ और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए सेंट्रल कृषि फार्म दिल्ली भेजा जाएगा। 



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *