
की जा रही पुताई।
– फोटो : अमर उजाला
संवाद न्यूज एजेंसी
झांसी। रेलवे ने पश्चिम क्षेत्र के दीनदयाल नगर की रेलवे कॉलोनी में गंदे पानी को साफ कर उसका इस्तेमाल करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया था। यहां से पानी रेलवे आवासों में भेजा जाना था। इस प्लांट से बीते चार साल में सात करोड़ लीटर से अधिक पानी साफ भी किया गया। लेकिन, इस पानी को उपयोग में न लेकर फिर से गंदे नाले में बहा दिया गया। आज भी यह सिलसिला थमा नहीं है।
रेल मंडल प्रशासन ने चार वर्ष पहले पानी की बर्बादी रोकने के लिए पश्चिम रेलवे कॉलोनी में मालगोदाम के पास और दीनदयाल नगर से सटी रेलवे कॉलोनी के नाले के पास सीवेज वाटर ट्रीटमेंट के लिए दो प्लांट लगवाए थे। उद्देश्य यह था कि रेलवे कॉलोनी से निकले नाले का पानी इन प्लांट से साफ कर उसे बागवानी, साफ-सफाई व अन्य गैर जरूरी काम में लिया जाएगा। निर्धारित हुआ था कि एक प्लांट का पानी वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन के वॉशिंग यार्ड में जाएगा और दूसरे प्लांट के पानी की सप्लाई प्लांट के ही पास बने रेलवे आवास को दी जाएगी। पहले प्लांट का उद्देश्य तो पूरा हो रहा है, लेकिन दूसरे प्लांट से किसी को भी कोई लाभ आज तक नहीं मिला।
हर रोज साफ होता है 50 हजार लीटर पानी
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 24 घंटे में 50 हजार लीटर गंदा पानी साफ करने की है। जिस कंपनी ने यहां प्लांट लगाया है, वह अपने अनुबंध के मुताबिक हर दिन प्लांट चला रही है। लेकिन, पानी टंकी में भरकर फिर से बहा दिया जा रहा है।
लाखों रुपये की बिजली से चल रहा प्लांट
पानी की बर्बादी के साथ ही रेलवे के राजस्व की भी बर्बादी का कारण यह प्लांट बन गया है। इसमें बिजली की काफी खपत है। आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन 6 हजार रुपये की बिजली इस प्लांट पर खर्च हो रही है।
वर्जन
संबंधित विभाग ने बताया है कि सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से 72 आवासों में पानी की सप्लाई की जाती है। कभी खराबी आने पर उसे तुरंत ठीक भी किया जाता है। – मनोज कुमार सिंह, मंडल रेल जनसंपर्क अधिकारी।
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