संवाद न्यूज एजेंसी, अमेठी

Updated Mon, 08 May 2023 12:14 AM IST

अमेठी। श्रीराम कथा मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का आदर्श चरित्र जीवन में उतारने की जरूरत है। यह बातें ब्लॉक संग्रामपुर के गांव मल्लूपुर में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा व्यास श्री महाराज ने कही।

उन्होंने बताया कि भगवान शिव और सती का अद्भुत प्रेम शास्त्रों में वर्णित है। सती के यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह किया और सती के शव को उठाए क्रोधित शिव ने तांडव किया। हालांकि यह भी शिव की लीला थी क्योंकि इस बहाने भगवान शिव 51 शक्ति पीठों की स्थापना करना चाहते थे। कथा व्यास ने बताया कि भगवान शिव ने माता सती को पहले ही बता दिया था कि उन्हें यह शरीर त्यागना है। कहा कि नारद के उकसाने पर माता सती भगवान शिव से जिद करने लगीं कि आपके गले में जो मुंड की माला है उसका रहस्य क्या है। जब काफी समझाने पर भी माता सती नहीं मानीं तो भगवान शिव ने बताया कि इस मुंड की माला में जितने भी मुंड यानी सिर हैं वह सभी आपके हैं। माता सती ने भगवान शिव से पूछा, यह भला कैसे संभव है कि सभी मुंड मेरे हैं। इस पर शिव बोले यह आपका 108वां जन्म है। इससे पहले आप 107 बार जन्म लेकर शरीर त्याग चुकी हैं और ये सभी मुंड उन पूर्व जन्मों की निशानी हैं। इस माला में अभी एक मुंड की कमी है। इसके बाद यह माला पूर्ण हो जाएगी। शिव की इस बात को सुनकर सती ने शिव से कहा कि मैं बार-बार जन्म लेकर शरीर त्याग करती हूं लेकिन आप शरीर त्याग क्यों नहीं करते। भगवान शिव ने कहा कि मैं अमर कथा जानता हूं इसलिए मुझे शरीर का त्याग नहीं करना पड़ता।

इस पर सती ने भी अमर कथा जानने की इच्छा प्रकट की। शिव जब सती को कथा सुनाने लगे तो उन्हें नींद आ गई और वह कथा सुन नहीं पाईं। इसलिए उन्हें दक्ष के यज्ञ कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग करना पड़ा। शिव ने सती के मुंड को भी माला में गूंथ लिया। इस प्रकार 108 मुंड की माला तैयार हो गई। माता सती ने अगला जन्म पार्वती के रूप में लिया। इस जन्म में पार्वती को अमरत्व प्राप्त हुआ और फिर उन्हें शरीर त्याग नहीं करना पड़ा। कथा व्यास ने कहा कि मानस कथा हमें धर्म एवं सन्मार्ग पर चलना सिखाती है। सभी जीव को भगवान श्रीराम के चरित्र का अनुकरण करना चाहिए। इस मौके पर सभाजीत शुक्ल, सत्यधर शुक्ल, एसपी शुक्ल, सुमित शर्मा, दिनेश सिंह व विकास सिंह आदि मौजूद रहे।



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