अमेठी। परतोष स्थित सरस्वती शिक्षा मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ग्राम भारती में विद्या भारती में आचार्यों को प्रशिक्षित किया गया। विद्यालय परिसर में काशी प्रांत से आए नव चयनित 80 आचार्यों को बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ संस्कार क्षम्य व एक कुशल नागरिक बनाने की विधि बताई।

प्रदेश निरीक्षक राजबहादुर दीक्षित ने कहा कि आज का बालक कल का नागरिक बनेगा। जब एक कुशल नागरिक बनकर तैयार होगा, तभी उसके अंदर देशभक्ति, ईश भक्ति, माता-पिता के प्रति सम्मान एवं अनेक कौशल विकसित होंगे। इन कौशलों को तराशने के कार्य में विद्या भारती के अधिकारी सतत प्रयत्नशील हैं। प्रधानाचार्य व काशी प्रांत के प्रचार प्रमुख संतोष मिश्र व संभाग निरीक्षक अयोध्या प्रसाद मिश्र ने शिक्षार्थियों को पीपीटी माध्यम से बताया कि अंग्रेजी शिक्षण पद्धति देश में दिशाहीन शिक्षा प्रदान कर रही थी, उसे दिशा में लाने के लिए लज्जाराम तोमर ने पंचपदी शिक्षण पद्धति की नींव डाली। उन्हें पंचपदी शिक्षा प्रणाली का जनक कहा जाता है।

शिक्षा ही जीवन है और जीवन ही शिक्षा है उक्त कथन स्वामी विवेकानंद का है। उनके अनुसार बालक के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षण के पांच पद बताए गए। शिक्षण पद्धति की परिभाषा बताते हुए अनेक प्रकार की शिक्षण पद्धतियों पर प्रकाश डाला गया। हरबर्ट के अनुसार प्रस्तावना, प्रस्तुतीकरण, तुलना का सहयोग, सामान्यीकरण और प्रयोग है। लज्जाराम तोमर के अनुसार यदि बालक का विकास करना है, तो हमारी शिक्षा भारत केंद्रित होनी चाहिए।

इसके लिए शिक्षक को सबसे पहले पाठ योजना बनाकर शिक्षण कार्य करना चाहिए। लज्जा राम तोमर के अनुसार पाठ योजना बनाते समय पाठ्यक्रम में अधीति, बोध, अभ्यास, प्रयोग व प्रसार का ध्यान रखना चाहिए। इस आधार पर हमारी पाठ योजना सबसे अच्छी पाठ योजना मानी जाती है। कार्यक्रम को क्षेत्रीय योग प्रमुख देवेंद्र पांडेय, काशी के संभाग निरीक्षक वीरेंद्र सिंह ने संबोधित किया।



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