अमेठी। गरीबों को पांच लाख रुपये तक के इलाज के लिए संचालित आयुष्मान भारत के तहत जारी किए जाने वाले गोल्डन कार्ड के आवेदन में खामियां मिलीं हैं। सूची से मिलान करने पर किसी का नाम नहीं मिल रहा है तो किसी का पता, किसी में अन्य समस्या है। ऐसे में अब तक 49059 गोल्डन कार्ड के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं।
जिले में आयुष्मान भारत के तहत दो लाख दो हजार 779 परिवारों के 8 लाख 90 हजार 907 का गोल्डन कार्ड बनाया जाना है। इसके सापेक्ष अब तक एक लाख 42 हजार 43 परिवारों के तीन लाख 92 हजार का गोल्डन कार्ड बन गया है। इसमें से 18 हजार 834 कार्ड धारकों के इलाज पर 16 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
आयुष्मान भारत के तहत कुल 14 सरकारी व 16 निजी अस्पताल पंजीकृत है। इसमें से जगदीशपुर स्थित एक अस्पताल में अभी तक एक भी आयुष्मान मरीज का इलाज नहीं किया गया है।
वहीं, गोल्डन कार्ड के लिए निरस्त आवेदन में 40 हजार 73 ऐसे हैं, जिनमें आधार व सूची में भिन्नता है। वहीं, 8986 आवेदन ऐसे हैं, जिसमें आधार नहीं है। अधिकारियों की मानें तो गोल्डन कार्ड के आवेदन निरस्त होने में जैसे 2011 की सूची व आधार कार्ड में नाम मैच न होना, पता न मिलना सहित अन्य कारण है। जिला समन्वयक डॉ. अनूप तिवारी का कहना है कि गोल्डन कार्ड ग्राम पंचायत स्तर पर बनवाया जा रहा है। पंचायत भवन में इसके लिए शिविर लगाए जा रहे हैं। यहां पर आसानी से गोल्डन कार्ड बनवाया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री के सामने उठाया था मामला
दो दिन पहले दौरे पर आई केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के सामने एक प्रकरण आया था। इसमें लखनऊ में भर्ती दयावती के गोल्डन कार्ड का मामला था। इस पर उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए थे। दरअसल, आम तौर पर लोग गोल्डन कार्ड नहीं बनवाते हैं, जब कोई इलाज की आवश्यकता होती है तो वह इसके लिए दौड़ भाग करते हैं। ऐसे में मुश्किलें आती हैं।