गौरीगंज (अमेठी)। धार्मिक अनुष्ठान व कर्मकांड से जुड़ी शिक्षा ग्रहण करने के लिए जल्द विद्वानों को काशी, प्रयागराज व हरिद्वार की परिक्रमा से निजात मिलेगी। अब जिले में ही पहले सरकारी आवासीय संस्कृत विद्यालय का निर्माण होगा। माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद के प्रस्ताव पर राज्यमंत्री ने कॉलेज स्थापना को हरी झंडी दिखाई है। मंजूरी मिलने के बाद जमीन चिन्हित करने की कवायद तेज हो गई है।

पूजा-पाठ व कर्मकांड के साथ संस्कृत विषय में शिक्षण कार्य को प्रोत्साहित किया जाएगा। संस्कृत स्कूलों में घटती छात्र संख्या व विद्वान पंडित व आचार्यों की आवश्यकता को देखते हुए माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने एक नई योजना बनाई है। टीकर माफी स्थित परमहंस संस्कृत महाविद्यालय में संस्कृत से जुड़े विभिन्न कोर्स पढ़ाए भी जा रहे है। इसके अतिरिक्त कर्मकांड समेत अन्य पूजन विधाओं में शिक्षित व प्रशिक्षित होने के लिए काशी, प्रयागराज व हरिद्वार की शरण लेने पड़ती है।

संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद के बीते दिनों शासन को प्रस्ताव भेजकर आवासीय राजकीय संस्कृत विद्यालय की स्थापना की बात कही थी। प्रस्ताव पर माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री गुलाबा देवी ने प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाते हुए अमेठी समेत 15 जिले में निर्माण कर संचालन करने की बात कही। फिलहाल पहले भेजे गए प्रस्ताव पर जायस स्थित जीआईसी परिसर में एक एकड़ भूमि पर आवासीय राजकीय संस्कृत विद्यालय निर्माण को माध्यमिक शिक्षा विभाग ने मंजूरी भी दी है।

इन कोर्स की होगी विशेष पढ़ाई

आवासीय राजकीय संस्कृत विद्यालय में उत्तर मध्यमा (12वीं) पास विद्यार्थी को प्रवेश मिलेगा। खास बात यह है कि इन कक्षाओं में प्रवेश की कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं है। प्रवेश के बाद पुरोहित कर्मकांड, व्यवहारिक वास्तुशास्त्र, व्यवहारिक ज्योतिष व योग विज्ञान कोर्स में शिक्षित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त इन कोर्स के संचालन को मानक पूरी करने वाले संस्थानों का मान्यता भी प्रदान की जाएगी।

बजट के बाद होगा निर्माण

संस्कृत विद्यालय के लिए पहले से ही भूमि प्रस्तावित की गई है। फिलहाल अभी शासन से कोई निर्णय लिखित तौर पर प्राप्त नहीं हुआ है। शासन का निर्देश व धन मिलने के बाद विद्यालय का निर्माण कराते हुए संस्कृत पाठ्यक्रमों में शिक्षण कार्य शुरू कराया जाएगा।

आशुतोष मिश्र-सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी



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