Maulana angry over DJ playing, bride reaches in-laws' house without Nikah

घर में होती रही निकाह की तैयारी

जगदीशपुर (अमेठी)। हीरामऊ गांव में एक अजीब मामला सामने आया है। शादी के दौरान डीजे बजने से नाराज मौलाना ने निकाह पढ़ाने से इंकार कर दिया। मौलाना के इंकार के बाद दुल्हन बिना निकाह कराए ही ससुराल पहुंच गई। बाद में घरवालों की मौजूदगी में लड़की के ससुराल में मौलाना ने निकाह पढ़वाया।

कमरौली थाना क्षेत्र के सिंदुरवा गांव निवासी वारिस अली के लड़के शोहराब की बरात बृहस्पतिवार को रात्रि में जगदीशपुर थाना क्षेत्र के हारीमऊ गांव पहुंची। वहां पर शरीफ की पुत्री शबाना के साथ उसका निकाह होना था। बरात पहुंचने पर स्वागत के रस्म अदायगी और जलपान के बाद द्वार चार में निकाह के लिए बराती लड़की पक्ष के दरवाजे पर गाजे बाजे के साथ नाचते गाते खुशी मनाते हुए पहुंचे। जिसे सुनकर निकाह पढ़ाने के लिए गांव से बुलाए गए मौलाना अब्दुल वासिद व साथ में मौजूद मौलाना मोहम्मद मुख्तार ने यह कहते हुए निकाह पढ़ाने से मना कर दिया कि शादी में बाजा बजाने पर मजहबी सामाजिक प्रतिबंध लगा रखा है तो फिर ना फरमानी क्यों की गई।

इसके बाद वहां का माहौल बदल गया। खुशी का हवाला देते हुए वर और वधू पक्ष के लोगों ने मौलाना से क्षमा याचना की। मौलाना ने निकाह पढ़ाने से इंकार कर दिया। इसके बाद बिना निकाह के ही दुल्हन को ससुराल ले जाया गया। वहां पर रात में गांव के मौलाना नवाजिस ने निकाह पढ़वाया।

सिंदुरवा निवासी दूल्हे के पिता वारिश अली का कहना है कि निकाह पढ़ाने के लिए मेरे पास उलेमा को देने के लिए ग्यारह हजार की रकम नहीं थी। इसलिए वापस आ कर घर पर शादी की।

हारीमऊ निवासी दुल्हन के पिता शरीफ का आरोप है कि यहां पर शादी करने के लिए मना किया जा रहा था। दरवाजे से बरातियों को वापस जाना पड़ा। सारा खाना खराब हो गया, निकाह के लिए ग्यारह हजार रुपये नहीं थे, इज्जत बचाते हुए लड़की को लेकर लड़के के घर पर निकाह करवाया,जो 1100 रुपये में ही हो गया।

निकाह पढ़वाने वाले सिंदुरवा निवासी उलेमा नवाजिस ने बताया कि सामाजिक फैसले को मानना चाहिए। मैंने जब निकाह पढ़ाया तो बाजा डीजे नहीं बज रहा था। निकाह पढ़ाने की कोई निर्धारित रकम नहीं होती है। लोगों की खुशी पर होता है।

लड़के के चाचा हामीद अली बताते हैं कि बाजा बजाने का उनका खुद का काम है। कल ही दिन में कमरौली के सवना स्थित रानी का पुरवा से दिन ही बरात लेकर पूरे थानी गए थे, वहा पर कहीं कोई विवाद नहीं था। यदि ऐसे रहा तो उनका रोजगार छिन जाएगा।

क्या बोले उलेमा

– हारीमऊ निवासी मौलाना अब्दुल वासिद उर्फ बेचन ने बताया कि सामाजिक फैसले के तहत दोनों पक्षों को बरात लाने से पहले ही बाजे के लिए मना किया गया था, फिर भी वे नही माने। मैंने निकाह पढ़ाने से मना कर दिया है। मैं सामाजिक फैसले का उल्लंघन कैसे कर सकता हूं। अर्थदंड की कोई निर्धारित राशि मांगने का लगाया गया आरोप बेबुनियाद है।

बैठक में होगी चर्चा

– मौलाना मोहम्मद मुख्तार ने बताया कि सामाजिक प्रतिबंध को हर किसी को मानना चाहिए। इसका उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के लिए बैठक होगी।

कुछ दिन पहले लिया गया था निर्णय

कुछ दिन पहले तिलोई विधानसभा के बारकोट गांव में मौलानाओं की बैठक हुई थी। मौलानाओं ने शादी ब्याह में पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का फरमान सुनाया था और कहा था कि अगर किसी भी शादी में डीजे या बैंड बाजा बजा तो वहां निकाह नहीं पढ़ाया जाएगा। मौलानाओं की फरमान का वीडियो और पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

नहीं है कोई जानकारी

एसपी डॉ. इलामारन जी ने बताया कि अभी तक ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है। न ही किसी ने कोई शिकायत की है। अगर कोई शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।



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