Tomato consumption reduced by 65 quintals in ten days

स​ब्जियों से सजी दुकान

गाैरीगंज (अमेठी)। टमाटर की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी का असर कारोबार पर भी पड़ा है। बीते दस दिनों के भीतर टमाटर की खपत 65 क्विंटल घट गई। इतना ही नहीं, अन्य सब्जियों पर भी इसका असर पड़ा है। आलम यह है कि अब लोगों ने टमाटर का विकल्प खोज लिया है। कोई तरोई तो कोई कटहल खा रहा है। यही नहीं, होटलों की डिश से भी टमाटर गायब हो गया है।

गौरीगंज के सब्जी विक्रेता मोहम्मद आजम राइन का कहना है कि 25 जून को अकेले गौरीगंज में 250 कैरेट टमाटर की मांग थी। एक कैरेट में 28 किलो आता है। इस हिसाब से 70 क्विंटल टमाटर की खपत थी। अब इसमें काफी कमी आई है। वर्तमान में महज 10 से 15 कैरेट टमाटर यानी करीब 5 क्विंटल की ही खपत है। ऐसे में बड़ी समस्या आ रही है।

जायस मंडी की बात करें तो आलू की डिमांड में भी कमी आई है। पहले करीब 500 क्विंटल आलू की मांग थी। यह मात्र 90 क्विंटल तक ही सीमित है। वजह यह है कि अब लोग ऐसी सब्जी खोज रहे हैं, जिसमें टमाटर की आवश्यकता ही न पड़े।

महंगाई पर नियंत्रण को लेकर सरकार हो गंभीर

गौरीगंज के धर्मेंद्र शुक्ला का कहना है कि आम आदमी महंगाई की मार से जूझ रहा है। महंगाई से निजात दिलाने को लेकर ठोस रणनीति बनाए जाने की जरूरत है।

सौरभ तिवारी ने कहा कि एक माह पहले जो रेट था, उससे करीब दोगुना की वृद्घि सब्जियों के दाम में हो गई है। सभी के दाम आसमान छू रहे हैं।

बृजेश कुमार मिश्र ने कहा कि अब सब्जी की बढ़ी कीमत ने बजट बिगाड़ दिया है। मंडी से महंगी कीमत पर सब्जियां बाजार में बिक रही हैं। अगर स्थानीय स्तर पर ही प्रयास किया जाए तो लोगों को महंगाई से निजात मिल सकती है।

श्रीनाथ शुक्ला ने कहा कि महंगाई के चलते दाल और सब्जी खरीदना मुश्किल हो गया है। जिस हिसाब से महंगाई बढ़ रही है गरीब परिवार का गुजारा नहीं हो पाएगा।



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