गौरीगंज (अमेठी)। वर्ष 2017 में पहली बार हुए नगर पालिका परिषद के चुनाव में सपा प्रत्याशी ने भाजपा उम्मीदवार को हराकर कब्जा जमाया था। 2023 में हुए दूसरे चुनाव में भाजपा ने घेराबंदी करते हुए जिला मुख्यालय की नगर पालिका पर कब्जा जमा लिया।प्रदेश की बसपा सरकार ने साल 2010 में सुल्तानपुर की तीन व रायबरेली की दो तहसील को एक कर छत्रपति साहूजी महाराज नगर के नाम से नए जिले का गठन किया था। हालांकि, बाद में आई सपा की सरकार ने जिले की एक तहसील सलोन को दोबारा रायबरेली में शामिल करने के साथ जिले का नाम अमेठी कर दिया।
इसके बाद 27 फरवरी 2015 को शासन ने अमेठी के जिला मुख्यालय गौरीगंज को नगर पालिका परिषद घोषित कर दिया। गठन के समय गौरीगंज तहसील क्षेत्र की दस ग्राम पंचायत व 12 राजस्व गांव को नगरीय क्षेत्र में शामिल किया गया। दो साल तक नगर पालिका परिषद की कमान तत्कालीन एडीएम के पास रही।
साल 2017 में पहली बार नगर पालिका परिषद का चुनाव हुआ। चुनाव में भाजपा से गीता देवी, सपा से राजपती देवी, कांग्रेस से गीता सरोज व आम आदमी पार्टी से क्रांति देवी चुनाव मैदान में थीं। इस चुनाव में भाजपा ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए प्रदेश स्तर तक के नेताओं को लगा दिया था। स्थानीय सांसद होने के नाते केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी पूरा जोर लगाया। वार्ड वार बड़े नेता व मंत्री को लगाया गया। बावजूद इसके चुनाव परिणाम आया तो सपा प्रत्याशी राजपती विनर तो बसपा उम्मीदवार तारा रनर रहीं। भाजपा तीसरे स्थान पर खिसक गई। 3299 मतों के साथ भाजपा प्रत्याशी गीता देवी तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।
2023 में नगर निकाय की चुनाव तिथि घोषित हुई तो भाजपा ने रश्मि सिंह तो सपा ने तारा देवी चुनाव मैदान में उतारा। भाजपा ने इस बार इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा। चुनाव जीतने के लिए जहां पार्टी के दिग्गज लगाए गए थे वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी व आजमगढ़ सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ आए और जनसभा के साथ रोड शो किया। पार्टी प्रत्याशी के साथ बड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं की एकजुटता व मेहनत का नतीजा रहा कि शनिवार को हुई मतगणना में रश्मि सिंह के बहाने भाजपा शहर की सत्ता को कब्जाने में कामयाब रही। भाजपा की धमाकेदार जीत से पार्टी में खुशी की लहर है।
जायस में जीत नहीं दोहरा सकी पार्टी
जिले की सबसे पुरानी नगर पालिका परिषद जायस की बात करें तो यहां 2017 के निकाय चुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार महेश प्रताप सोनकर ने कांग्रेस प्रत्याशी इशरत हुसैन को 507 वोटों से हराया था। महेश को 3476 तो इशरत को 2969 मत मिले थे। इस चुनाव में पार्टी ने महेश प्रताप की पत्नी बीना सोनकर को उम्मीदवार बनाया। हालांकि कड़ी मेहनत व सांसद तक का रोड शो होने के साथ ही 2017 के मुकाबले अधिक मत पाने (6555) के बाद भी पार्टी यहां बुरी तरह हार गई। बीना को कांग्रेस प्रत्याशी मनीषा ने 3446 वोटों से हराया।
