Farmers waiting for water to come in the canals

सूखी पड़ी नहर

गौरीगंज(अमेठी)। जिले के करीब 85 हजार किसान नहर से फसल सिंचाई करते हैं। धान की रोपाई के समय नहरों में उड़ रही धूल ने परेशानी बढ़ा दी है। विभाग की ओर से जारी रोस्टर के बाद भी नहरों में पानी नहीं आया तो किसान महंगे दामों पर धान की रोपाई व जायद सीजन के फसलों की सिंचाई करना शुरू कर दी।

जून का महीना बीतने को है। मानसून की दस्तक न होने व मौसम की बेरुखी का डर किसानों को अभी से सताने लगा है। बची कसर नहरों ने पूरी कर दी है। किसानों के सामने अब धान की नर्सरी तैयार करने का संकट खड़ा हो गया है। किसान नहरों में पानी की आने की आस लगाए बैठे हैं।

अभी नहरों में पानी आने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। जिससे किसान निजी व प्राइवेट टयूबवेल से खेती करने को मजबूर हैं। जिले के लगभग 85 हजार चार सौ किसान फसलों की सिंचाई के लिए 182 नहर, 15 रजबहा व 168 अल्पिकाओं पर निर्भर हैं। करीब 40 हजार हेक्टेयर फसलों की सिंचाई की जाती है। लेकिन, नहरों में पानी न आने से किसान धान की नर्सरी, सूर्यमुखी, सब्जी की फसल आदि फसलों की सिंचाई प्राइवेट व निजी साधनों के सहारे करने को मजबूर हैं। अधिकांश किसानों की धान की नर्सरी लगभग तैयार है। जिसकी रोपाई के लिए वह नहरों में पानी आने का इंतजार कर रहे हैं। नहरों में पानी नहीं आने से किसानों के उम्मीदों पर पानी फेर गया हैं।

टूयबवेल के सहारे शुरू हुई धान की रोपाई

धान की रोपाई के लिए किसानों नर्सरी लगभग लगभग तैयार हैं। अधिक समय होने के चलते किसानों की नर्सरी खराब हो सकती है। कई किसानों ने धान की रोपाई कराने का कार्य भी शुरू कर दिया है। किसान निजी व प्राइवेट टयूबवेल से धान की रोपाई कराने को मजबूर हैं।

किसानों की भी सुनें

संग्रामपुर कंसापुर के किसान यशकेंद्र सिंह ने बताया कि खेत के बगल से ही नहर गुजरी है। नहर में पानी न आने से निजी टयूबवेल से ही फसलों की सिचाई की जाती है। निजी साधन से ही रोपाई की जा रही है।

सेंभुई के मेहनपारा निवासी गोविंद सिंह ने बताया कि नहर में पानी न आने से धान की नर्सरी की सिचाई के लिए दिक्कत होती है। नहर में पानी कब आएगा पता नहीं।

राजाफत्तेपुर निवासी जगतपाल सिंह ने बताया कि पूरी खेती नहर के पानी पर ही निर्भर है। नहर में पानी न आने से धान की नर्सरी तैयार करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

किसान इंद्र कुमार ने बताया कि तेज धूप की वजह से हर तीसरे दिन महंगे किराए पर पंपिंग सेट से धान की नर्सरी की सिंचाई करनी पड़ती है। इससे फसल की लागत बढ़ रही है।

अधिशासी अभियंता धर्मेंद्र वर्मा ने बताया कि बड़ी नहर में पानी नहीं आ रहा है। जैसे ही पानी आएगा छोड़ा जाएगा।



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