अमेठी सिटी। हाईवे के मुआवजा घोटाले की जांच कर रही पुलिस ने तहसील से रिकॉर्ड कब्जे में लिए हैं। इसमें शासनादेश से लेकर मुआवजा वितरण की प्रक्रिया की पूरी प्रोफाइल एकत्र की जा रही है। इसके आधार पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। विवेचना के पर्यवेक्षण के लिए सीओ को लगाया गया है।

लखनऊ-वाराणसी हाईवे (एनएच 56) के बाईपास में घोटाले का मामला सामने आया था। इस मामले में 11 अक्तूबर को मुसाफिरखाना कोतवाली में रजिस्ट्रार कानूनगो सुरेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव ने 382 करोड़ रुपये की शासकीय क्षति के लिए तत्कालीन एसडीएम आरडी राम और अशोक कुमार कनौजिया के अतिरिक्त अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया था।

कोतवाल मुसाफिरखाना विनोद सिंह कहते हैं कि प्रकरण की जांच की जा रही है। तहसील से मुआवजा घोटाले से संबंधित रिकॉर्ड लिए गए हैं। इसके आधार पर विवेचना की जा रही है। घोटाले के साक्ष्य के आधार पर हरेक की भूमिका की पड़ताल की जा रही है। कुछ और जानकारियां तहसील से ली जा रही है। मसलन, कुल कितने गांव हैँ, किसकी क्या भूमिका रही। नीचे से लेकर ऊपर तक के अफसरों के दायित्व को लेकर भी परीक्षण किया जा रहा है।

एसपी डॉ. इलामारन जी ने बताया कि प्रकरण की जांच की जा रही है। विवेचना पर नजर रखने के लिए सीओ को कहा गया है। वैसे प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध शाखा से कराने की संस्तुति की गई है।

ये था मामला

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-56 लखनऊ-सुलतानपुर मार्ग के किमी. 64.100 से 113.670 तक में प्रथम जगदीशपुर बाईपास किमी. 80.690 से 97.935 तक तथा द्वितीय मुसाफिरखाना बाईपास किमी. 105.530 से 102.035 किमी. 103.885 से 110.165 तक चौड़ीकरण के लिए बनाया जाना था। इससे आच्छादित ग्रामों के संबंध में आपत्तियों का निस्तारण करते हुए इनका गजट कराया गया तथा इसमें निजी कृषि भूमिगांव सभा की सरकारी भूमि का अभिनिर्णय घोषित किया गया। तत्कालीन अफसरों ने पूर्व प्रचलित राष्ट्रीय राजमार्ग से दूरस्थ स्थित अधिग्रहीत भूमि के गाटों के मुआवजा का निर्धारण नियम विरुद्ध किया। ऐसे में राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित भूमि की सर्किल दर के आधार पर कर दिया। इससे सरकार को 382 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

कैसे खुला राज

वर्ष 2022 में मुआवजे को लेकर डीएम राकेश कुमार मिश्र ने जब मामले की जांच कराई तो पाया गया कि अफसरों ने गलत तरीके से कृषि योग्य भूमि का मुआवजा सर्किल रेट का चार गुना निर्धारित करने के बजाय एनएच से सटी जमीन (इसका सर्किल रेट कई गुना अधिक) के बराबर निर्धारित कर दिया। दो गांवों के मामलों में 9.81 करोड़ रुपये की रिकवरी के आदेश दिए हैं। वहीं, 28 मामले की फाइल लखनऊ आयुक्त के यहां सुनवाई के लिए भेजी गई है।



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