गौरीगंज (अमेठी)। गेहूं खरीद का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रशासन की ओर से की जा रही तमाम कोशिशें अब तक विफल साबित हुई हैं। क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा है। यह स्थिति तब है, जबकि क्रय केंद्र प्रभारी प्रतिदिन पंजीकृत किसानों के मोबाइल पर कॉल करके उनसे अपना गेहूं लाने व बेचने का आग्रह कर रहे हैं।
शासन ने रबी सीजन की सबसे महत्वपूर्ण फसल गेहूं का समर्थन मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। प्रशासन की ओर से जिले में 60 हजार एमटी खरीद लक्ष्य निर्धारित करते हुए छह एजेंसी के 70 क्रय केंद्र खोले गए हैं। इन केंद्रों पर एक अप्रैल से छह मई (36 दिन) तक विपणन शाखा के 16 क्रय केंद्रों पर 217 किसानों से केवल 674.45 एमटी गेहूं खरीदा जा सका है। इसी तरह पीसीएफ एजेंसी के 25 क्रय केंंद्रों पर 36 किसानों से 101.98 एमटी तो यूपीएसएस के 10 क्रय केंद्रों पर 18 किसानों से 69.45 एमटी गेहूं खरीदा गया है। पीसीयू के 15 क्रय केंद्रों पर 17 किसानों से 17.65 एमटी गेहूं की ही खरीद हुई है। एफसीआई के दो में सिर्फ एक क्रय केंद्र पर ही पांच किसानों से 9.90 एमटी गेहूं खरीदा गया है। मंडी समिति के दो व एफसीआईसी के एक क्रय केंद्र पर अब तक बोहनी भी नहीं हुई है।
सन्नाटा देख बढ़ गई परेशानी
क्रय केंद्रों पर सन्नाटा देख जिम्मेदारों की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में क्रय केंद्रों पर बिक्री के लिए गेहूं लाने के लिए किसानों को फोन किया जा रहा है। इसके लिए क्रय केंद्रों के कर्मचारी पिछले साल गेहूं बिक्री करने आए किसानों के साथ पोर्टल पर पंजीकरण करा चुके किसानों को फोन कर रहे हैं। इतना ही नहीं क्षेत्र के गांवों में जाकर कर्मचारी किसानों से संपर्क कर क्रय केंद्रों पर गेहूं बिक्री करने का आग्रह कर रहे हैं। बावजूद इसके किसान क्रय केंद्र पर फटक तक नहीं आ रहे।
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यह है सन्नाटे की वजह
किसानों के क्रय केंद्र से कन्नी काटने की सबसे बड़ी वजह बाजार में गेहूं की कीमतों का ज्यादा होना है। बाजार में गेहूं की कीमतें 2150 से 22 सौ रुपये प्रति क्विंटल तक है। इसके अलावा व्यापारी किसानों के घर जाकर तौल कराने के साथ नकद भुगतान भी कर रहे हैं। व्यापारी को गेहूं देने पर किसान को न तो बोरा ढूंढना पड़ रहा है न ही साधन।
रोज किया जा रहा संपर्क
क्रय केंद्रों पर बहुत ही कम संख्या में किसान गेहूं की बिक्री करने पहुंच रहे हैं। कर्मचारी, किसानों से फोन पर संपर्क कर उनसे फसल बेचने का अनुरोध कर रहे हैं। प्रत्येक दशा में लक्ष्य पूरा करने की कोशिश की जा रही है।
– संतोष कुमार द्विवेदी, डिप्टी आरएमओ