गौरीगंज (अमेठी)। शाहगढ़ ब्लॉक की कौहार ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के तहत कराए कार्यों में बड़े पैमाने पर धांधली उजागर हुई है। डीसी मनरेगा ने पत्रावलियों को जब्त कर जांच की जिम्मेदारी एई डीआरडीए को दी है। यहां कराए गए विकास कार्यों के भुगतान में विभागीय नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं।
जिले में विकास कार्यों को कराने व उनके भुगतान में धांधली का एक और मामला सामने आया है। ताजा मामला शाहगढ़ ब्लॉक क्षेत्र के कौहार ग्राम पंचायत से जुड़ा है। इस ग्राम पंचायत में कराए गए विकास कार्यों की गत दिनों की गई जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। डीसी मनरेगा एके सिंह ने पाया कि यहां कराए गए छह कार्यों में जरूरी अभिलेख तैयार व पूरे किए बिना गलत तरीके से नौ लाख 52 हजार 970 रुपये का भुगतान कर लिया गया। डीसी मनरेगा ने सभी छह कार्य स्थलों की पत्रावली अपने कब्जे में लेकर स्वयं जांच करने के बाद गड़बड़ी की तकनीकी जांच करने की जिम्मेदारी सहायक अभियंता डीआरडीए को दी है।
इन कार्यों पर कर लिया भुगतान
डीसी ने बताया कि कौहार गांव में कृपा शंकर के मकान तक 36 मीटर लंबी इंटर लॉकिंग सड़क निर्माण के नाम पर 1,48,465 रुपये, गांव में पक्की सड़क से साबिर के घर तक 20 मीटर लंबी इंटर लॉकिंग के नाम पर 90,919 रुपये का भुगतान किया गया। महेश नारायण के घर तक 42 मीटर लंबी इंटर लॉकिंग के नाम पर 1,72,762 रुपये, पक्की सड़क से भूपेंद्र सिंह के घर तक 58 मीटर सड़क पर 2,61,423 रुपये, पक्की सड़क से एएनएम सेंटर तक 20 मीटर लंबी सड़क पर 90,919 रुपये का भुगतान कर लिया गया।
इस तरह से उड़ाईं धज्जियां
बताया कि इन सभी छह सड़कों की न तो एमबी (माप पुस्तिका) कराई गई न ही कार्य योजना पर किसी भी अफसर के हस्ताक्षर कराए गए। कार्यवाही रजिस्टर पर भी ग्राम प्रधान के अलावा किसी अधिकारी/कर्मचारी के हस्ताक्षर नहीं हैं। कार्य के किसी भी स्तर पर फोटोग्राफ्स नहीं कराए गए।
ऐसे सामने आई गड़बड़ी
मामले का खुलासा बीते दिनों तब हुआ जब डीसी मनरेगा एके सिंह को जानकारी मिली कि कौहार गांव का रोजगार सेवक दो साल से गांव नहीं आया। बावजूद इसके लगातार मानदेय दिया जा रहा है। डीसी ने रोजगार सेवक को बुलाकर पूछा तो पता चला कि उसे कोई कार्य दिया ही नहीं जाता। इसके बाद जब उन्होंने ब्लॉक पहुंच पत्रावलियों को कब्जे में लिया तो गड़बड़ी सामने आ गई।
होगी कड़ी कार्रवाई
तकरीबन गांवों की जांच पूर्ण हो चुकी है। ग्राम प्रधान से लेकर सचिव तक, तकनीकी सहायक से लेकर अकाउंटेंट व कंप्यूटर ऑपरेटर तक की मिलीभगत सामने आई है। एई की ओर से की गई तकनीकी जांच की रिपोर्ट मिलने के बाद अफसरों की स्वीकृति लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
एके सिंह-डीसी मनरेगा