
जिलाध्यक्ष व पदाधिकारी चर्चा करते हुए
अमेठी। राहुल गांधी को लेकर अमेठी की सियासत गर्म हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के एलान के बाद अब कांग्रेसियों ने तैयारी तेज कर दी है। हर एक बूथ को लेकर मंथन शुरू हो गया है। इसके लिए नये सिरे से कार्ययोजना बनाने को लेकर पदाधिकारी जुट गए हैं।
1980 में संजय गांधी की जीत के बाद से अमेठी संसदीय सीट कांग्रेस के गढ़ के रूप में जानी जाने लगी थी। यहां से चुनाव जीत कर राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने, जबकि सोनिया गांधी संप्रग अध्यक्ष के रूप में ताकतवर महिला के रूप में उभरीं।
कांग्रेस के इस गढ़ को 2014 के चुनाव में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने थोड़ा कमजोर किया, और 2019 में इसे ध्वस्त कर दिया। पराजय के बाद राहुल गांधी ने अमेठी का दो बार दौरा किया। एक बार नतीजे आने के बाद और दूसरी बार विधानसभा चुनाव में वे अमेठी पहुंचे। उनकी बहन प्रियंका गांधी भी एक बार अमेठी पहुंचीं। दोनों ने इसे अपना घर बताया।
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने राहुल गांधी के अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कहकर सियासत को और हवा दे दी है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर नजर डालें तो संसदीय क्षेत्र की पांचों विधानसभा सीटों पर गैर कांग्रेसी दलों का कब्जा है। जिला पंचायत में भी कांग्रेस खाली हाथ है।
दरअसल कांग्रेस को लेकर यहां के मतदाताओं का मिजाज लोकसभा चुनाव में कुछ, अन्य चुनावों में कुछ और होता रहा है। जिलाध्यक्ष कांग्रेस प्रदीप सिंघल कहते हैं कि तैयारी चल रही है। हर बूथ पर दस कांग्रेसी रहेंगे। साथ ही न्यायपंचायत, विधानसभा से लेकर अन्य कोर कमेटियों को एक्टिव कर दिया गया है।
भाजपा ने भी तैयार की रणनीति
कांग्रेस के पैंतरे के बाद अब भाजपाइयों ने भी कमर कस ली है। केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद स्मृति ईरानी के संदेश व उनके काम को गांव-गांव पहुंचाने के लिए भाजपा की आईटी टीम सक्रिय हो गई है। आईटी टीम के जिला संयोजक अंशु तिवारी कहते हैं कि अमेठी जिले में कुल 1554 बूथ है। 19 मंडल व 273 शक्ति केंद्र है। इन सभी का वाट्सएप ग्रुप बना है।
बूथ वाले ग्रुप में पार्टी के कार्यकर्ताओं के अलावा बूथ पर निवास करने वाले आमजनों को जोड़ा जा रहा है। साथ ही आईटी टीम द्वारा सोशल मीडिया पर जमीनी स्तर पर हो रहे कार्यों का अधिक से अधिक प्रचार–प्रसार किया जा रहा है। कहा कि हरेक मूवमेंट के हिसाब से गतिविधियां संचालित की जा रही है।