
इको फ्रेडली बन रही सड़कका जायजा लेते अभियंता
तिलोई (अमेठी)। कम लागत से बनने वाली सड़कों की गुणवत्ता व तकनीकी परखने व देखने के लिए मंगलवार को 18 राज्यों के अभियंताओं की टीम यहां पहुंची है। अभियंताओं का दल एफडीआर (फुल डेप्थ रिक्लेमेशन) तकनीक को देखने के बाद बुधवार को वापस रवाना होगा। प्रदेश भर में अब तक सबसे कम लागत से 70 किलोमीटर सड़क का निर्माण कराकर अमेठी नवंबर वन बन चुका है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना मिशन लाइफ कार्यक्रम के तहत ग्रामीण अभियंत्रण विभाग द्वारा विकास खंड बहादुरपुर में सराय महेशा से अलाईपुर तक करीब 10 किलोमीटर व पीढ़ी से ओनढीह दूरी 5.6 किलोमीटर सड़क की मरम्मत का काम एफडीआर विधि से कराया जा रहा है। कम लागत में बनने वाली सड़क को देखने के लिए मंगलवार को 18 राज्यों के अभियंता अमेठी पहुंचे।
ये अभियंता आए
अभियंताओं में असम से हिरन्या दास व अतानु शर्मा असिस्टेंट एक्जक्यूटिव इंजीनियर, बिहार से रामाचल यादव असिस्टेंट एक्जक्यूटिव इंजीनियर, गुजरात से एचसी मोदी चीफ इंजीनियर, एडिशनल सिक्रेटरी आर एन्ड बी डिपार्टमेंट, हिमांचल प्रदेश से राजिंदर जुबलानी, विनोद शर्मा एक्जक्यूटिव इंजीनियर, कर्नाटक से नागराज असिस्टेंट एक्जक्यूटिव इंजीनियर, केरला से सुमा पी सुरेंद्रन एक्जक्यूटिव इंजीनियर, लद्दाख से साबिर हुसैन असिस्टेंट एक्जक्यूटिव इंजीनियर, महाराष्ट्र से धनंजय जाधव एक्जक्यूटिव इंजीनियर, मेघालय से इदमुन्द एक्जक्यूटिव इंजीनियर, मिजोरम से बी वनलालहरौआई सीनियर इंजीनियर, नागालैंड से सेमैसी कटरी एक्जक्यूटिव इंजीनियर, नागालैंड से वीजोपूसा जूनियर इंजीनियर, ओडीसा से के अपिलेश्वर सिंह एक्जक्यूटिव इंजीनियर, पंजाब से शिखर गुलेरिया व शाहिल कुमार जूनियर इंजीनियर, तमिलनाडु से थीरु कुमार जूनियर इंजीनियर, तेलंगाना से श्रीराम रामूलू असिस्टेंट एक्जक्यूटिव, त्रिपुरा से रजत वैद्य एक्जक्यूटिव इंजीनियर, मोर्ड से केएम सिंह, डायरेक्टर (आरसी), आईआईटी पटना से प्रो. सुधीर वर्मा प्रो. सिविल डिपार्टमेंट, उत्तराखंड से महेंद्र सुप्रीन्टेंडिंग अमेठी के ग्राम पंचायत सराय महेशा गांव पहुंचे।
ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के सहायक अभियंता शुभम ने बताया कि अमेठी में अब तक 70 किलोमीटर सड़क बनाई जा चुकी है। जो प्रदेश में अब तक सर्वाधिक है।
क्या है एफडीआर तकनीक
फुल डेप्थ रिक्लेमेशन तकनीक में पुरानी सड़क के पत्थरों का दोबारा इस्तेमाल हो जाता है, स्टोन एग्रीगेट यानी गिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें सड़क का निर्माण बहुत तेजी से होता है और मरम्मत में खर्च भी कम आता है। विशेष मशीनों से पत्थर व सीमेंट आदि को मिलाकर सड़क बनती है। इस विधि से सड़कों को बनाने के लिए दोबारा खोदाई नहीं करनी पड़ती है और इससे पर्यावरण भी सुरक्षित होता है।
