
अस्पताल बंद होने से इलाज कराने हुए बुजुर्ग को मिली मायूसी
अमेठी। साहब अब केहका देखाई, कहां होय पट्टी दवाई, कुछ समझ मा नाही आवत, ई सब गलत भवा। यह दर्द संजय गांधी अस्पताल आ रहे मरीजों के हैं। अस्पताल गेट पर मरीज गार्ड से अंदर जाने को बहस भी कर रहे हैं। सेनीपुर गांव निवासी अकबाल का तीन माह पूर्व एक्सीडेंट हुआ था। पैर में राड और प्लेट पड़ी हुई है। बड़ा घाव है पांचवें दिन ड्रेसिंग होती है। शुक्रवार को वह टेंपो से अस्पताल गेट के सामने पहुंचे तो बंद होने की जानकारी हुई। वह कहने लगे कि साहब अब केका देखाई, कहां होय पट्टी दवाई, कुछ समझ मा नाही आवत, ई सब गलत आय। मऊआइमा प्रयागराज से आए सतीश कुमार जिद पर आ गए। उन्होंने कहा कि 15 दिन पहले वह अस्पताल में दिखाए थे। आज कह रहे हैं कि अस्पताल बंद है। कहा कि बिना डॉक्टर का देखाए तौ हम जाब न । वह काफी देर तक कर्मियों और अस्पताल के अफसरों से इलाज करने की जद्दोजहद करते रहे।
सेमरा निवासी वासुदेव कश्यप ने कहा कि अस्पताल बंद होने से परेशानी हो रही है, हम गरीब लोग हैं लखनऊ नहीं जा सकते हैं यहां कम पैसे में लोगों का इलाज हो जाता है और नजदीक में सुविधा मिल जाती है। टंडवा निवासी अनूप श्रीवास्तव ने कहा कि आज दवा लेने आए थे लेकिन अस्पताल बंद है।
प्रतापगढ़ के बाबूगंज निवासी कोमल अपने पति के साथ बेटी वैष्णवी को दिखाने आई थी बेटी के हाथ में फैक्चर था। अस्पताल बंद होने से लौटकर चली गई।
विजय कुमार अपने बेटे रितेश को अस्पताल में दिखाने आए थे। एक माह पहले बेटे के हाथ का ऑपरेशन हुआ था, प्लेट पड़ी थी। अस्पताल बंद है। दवा भी खत्म है और ड्रेसिंग किससे कराए किस डॉक्टर को दिखाएं। प्रतापगढ़ के किठावर से आए दंपती राजेश और गुड्डी देवी ने बताया कि उनके पैर का ऑपरेशन हुआ था। पैर में प्लेट पड़ी है डेट मिली थी आज प्लेट को निकलवाना था। अस्पताल बंद होने से अब उनके सामने समस्या खड़ी हो गई है।