अमेठी। मुसाफिरखाना तहसील क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग में वास्तविक मूल्य से अधिक मुआवजा के मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के मुकदमे की सुनवाई करते हुए जिला मजिस्ट्रेट राकेश कुमार मिश्र ने बृहस्पतिवार को दो गांवों में हुए भुगतान में खामियों पर कार्रवाई की है।

कोर्ट ने 9 करोड़ 81 लाख रुपये की रिकवरी किए जाने का आदेश दिया है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 56 के किलोमीटर 64.110 से किलोमीटर 113.670 (लखनऊ-सुल्तानपुर सेक्शन) के चौड़ीकरण के लिए वर्ष 2014-15 में दो बाइपास निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की गई थी।

आरोप है कि इस दौरान भूमि अधिग्रहण में किसानों को अधिक मुआवजा देने का मामला आया था। इसको लेकर एनएचआई की ओर से 2022 में डीएम की कोर्ट में केस दायर किया गया था। डीएम ने प्रकरण की जांच कराई तो पूरे मामले की परत दर परत खुलती चली गई। अभी तक 382 करोड़ की गड़बड़ी का मामला उजागर हो चुका है। 12 अक्टूबर को मुसाफिरखाना के दो तत्कालीन एसडीएम आरडी राम और अशोक कुमार कनौजिया के खिलाफ बुधवार को मुकदमा दर्ज कराया गया था। अब इस मामले में एक और बड़ी कार्रवाई की गई है।

न्यायालय ने दुलारी नगर और मंगरौरा गांव में हुए मुआवजा भुगतान के मामले में किसानों को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया था। इसमें से कई किसान न्यायालय में नहीं आए। कोर्ट ने 9 करोड़ 81 लाख रुपये की रिकवरी के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही सक्षम प्राधिकारी भू अध्यप्ति/ एसडीएम द्वारा दुलारीनगर व मंगरौरा गांव के 13 गाटों के प्रतिकर भुगतान के लिए पारित आदेश अभिनिर्णय को संशोधित किए जाने का आदेश दिया है।

इस तरह हुई गड़बड़ी

– राष्ट्रीय राजमार्ग 56 बाईपास से आच्छादित ग्रामों के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित कृषि भूमि को राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भूमि के समतुल्य मानकर अभिनिर्णय घोषित करते हुए दुलारीनगर में प्रतिकर धनराशि 14 करोड़ 70 लाख 23 हजार 570 रुपये निर्धारित की थी।

तहसीलदार व उपनिबंधक मुसाफिरखाना द्वारा प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार तत्समय निर्धारित सर्किल रेट के आधार पर आठ करोड़ 93 लाख 21 हजार 47 रुपये का प्रतिकर निर्धारित करते हुए भुगतान किया जाना चाहिए था। यहां पर पांच करोड़ 77 लाख दो हजार 529 रुपये की धनराशि को अधिक प्रतिकर के रूप में भुगतान किया गया।

– मगरौरा में प्रतिकर धनराशि पांच करोड़ 52 लाख 24 हजार 742 रुपये निर्धारित की थी। तहसीलदार व उपनिबंधक मुसाफिरखाना द्वारा प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार तत्समय निर्धारित सर्किल रेट के आधार पर एक करोड़ 48 लाख 14 हजार 674 रुपये का प्रतिकर निर्धारित करते हुए भुगतान किया जाना चाहिए था। ऐसे में चार करोड़ चार लाख दस हजार 67 रुपये का अधिक प्रतिकर के रूप में भुगतान किया गया।



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