अमेठी। आरटीई (राइट टू एजुकेशन एक्ट) के तहत निजी स्कूलों में वंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चों के मुफ्त दाखिले की राह में निजी स्कूलों की मनमानी जारी है। बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा में जिले में संचालित 519 निजी स्कूलों में से 224 का ही पंजीकरण मिला है। इस पर शेष बचे 295 स्कूलों को अंतिम नोटिस जारी किया गया है। सात दिन में पंजीकरण नहीं कराने पर मान्यता समाप्त कर दी जाएगी।

नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई) के तहत निजी विद्यालयों में वंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चों के की पढ़ाई की व्यवस्था है। इसके तहत गरीब परिवार के बच्चे भी नजदीक के निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत, निजी स्कूलों तथा केंद्रीय विद्यालयों में तथा प्री स्कूल की शिक्षा से प्रारंभ होने वाले प्राइवेट स्कूलों की प्रवेशित कक्षा में न्यूनतम 25 प्रतिशत सीटों पर वंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश देना अनिवार्य है।

इसके लिए स्कूलों को आरटीई पोर्टल पर पंजीकरण कराना होता है। जिले में संचालित 519 स्कूलों में सिर्फ 224 स्कूलों ने ही पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। इन पंजीकृत स्कूलों में शैक्षिक सत्र 2023-24 में लाॅटरी सिस्टम से बच्चों का चयन कर बेसिक शिक्षा विभाग समीक्षा भी कर रहा है।

शैक्षिक सत्र 2024-25 में अधिक से अधिक वंचित समूह के बच्चों को निजी स्कूल में प्रवेश दिलाया जा सके, इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने पोर्टल पर समीक्षा की। इसमें पाया कि 295 स्कूलों ने पंजीकरण ही नहीं कराया है। यह भी पाया कि 106 स्कूलों ने पोर्टल पर मैपिंग तो की लेकिन, पंजीकरण नहीं कराया।

इतना ही नहीं, कई बार पत्राचार के बावजूद यह स्कूल पोर्टल पर पंजीकरण कराने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जबकि मैपिंग का काम पूरा होते ही विद्यालयों के नाम, पता आरटीई पोर्टल पर अपलोड कर दिए जाएंगे। अभिभावक बच्चों के दाखिले के लिए आवेदन कर सकते हैं।

बीएसए संजय कुमार तिवारी ने बताया कि आरटीई पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कराने वाले स्कूलों को अंतिम नोटिस दिया जा रहा है। सात दिन में पंजीकरण नहीं कराने पर मान्यता समाप्त कर दी जाएगी।

फीस और काॅपी-किताब का खर्च देती है सरकार

प्रदेश सरकार आरटीई में दाखिला पाने वाले वंचित समूह व दुर्बल आय वर्ग के छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकों, अभ्यास पुस्तिकाओं व यूनिफार्म के लिए प्रति विद्यार्थी 5000 रुपये देती है। स्कूलों को 450 रुपये प्रतिमाह की दर से 5400 रुपये वार्षिक भुगतान किया जाता है। बावजूद इसके स्कूल प्रबंधन योजना से बचने की कोशिश में जुटे हैं।



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