शुल्क वृद्धि के विरोध में जारी आंदोलन के 13वें दिन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) इंतजामिया बैकफुट पर आ गया। यूनिवर्सिटी अकादमिक परिषद ने शुल्क वृद्धि को 36 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी कर दिया। हालांकि, विद्यार्थियों का कहना है कि शुल्क वृद्धि का निर्णय वापस लेने तक विरोध जारी रहेगा।

14 अगस्त को यूनिवर्सिटी अकादमिक परिषद की ऑनलाइन बैठक हुई। इसमें सर्वसम्मति से शुल्क वृद्धि को अधिकतम 20 प्रतिशत तक सीमित करने का निर्णय लिया गया। कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून की अध्यक्षता में हुई बैठक में शुल्क वृद्धि संबंधी छात्रों की चिंताओं की समीक्षा के लिए गठित समिति की रिपोर्ट का गहन अध्ययन किया गया।

इसमें स्पष्ट किया गया कि कंटीन्यूइंग विद्यार्थियों के लिए शुल्क वृद्धि पिछले शैक्षणिक सत्र की दरों से 20 फीसदी से अधिक नहीं होगी। यूनिवर्सिटी संसाधन जुटाने के वैकल्पिक उपायों पर भी विचार करेगा। पूर्व छात्रों के योगदान, प्रायोजित शोध परियोजनाएं, राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा के लिए सप्ताह के अंत में विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे का उपयोग, प्रशिक्षण व शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए परिसर की सुविधाओं का सर्वोत्तम उपयोग शामिल है। एएमयू छात्र संघ (एएमयूएसयू) के चुनाव लिंगदोह समिति के दिशा-निर्देशों के अनुसार सही समय पर होंगे। छात्र नेता मो. सलमान गौरी का कहना है कि यह एक तरह का लॉलीपॉप है। शुल्क वृद्धि का फैसला वापस लेने तक विरोध जारी रहेगा।

छात्र संघ चुनाव के लिए शुरू की भूख-हड़ताल

एएमयू में छात्रसंघ चुनाव कराने सहित अन्य मांगों को लेकर एलएलएम छात्र कैफ हसन ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों के अधिकारों का हनन कर रहा है। कैफ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कैफ हसन बनाम भारत संघ शीर्षक से एक जनहित याचिका दायर करके कानूनी सहारा लिया था, जिसमें छात्र संघ को बहाल करने की मांग की गई थी। धरना स्थल पर पहुंचे एसीएम प्रथम दिग्विजय सिंह ने छात्रों को मांगें पूरी होने का हवाला दिया और धरना खत्म करने के लिए कहा।



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