मैनपुरी।

थाना एलाऊ क्षेत्र में चार साल पहले ट्रक की टक्कर से घायल हुई छात्रा को वाहन बीमा कंपनी 5.10 लाख रुपये मुआवजा देगी। इस धनराशि पर ब्याज भी दिया जाएगा। छात्रा की याचिका पर सुनवाई करने के बाद मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के पीठासीन अधिकारी/जिला जज इंतखाब आलम ने यह आदेश दिया है।

गांव बीरमपुर निवासी कादम्बरी की साइकिल को तीन सितंबर 2019 को अजीतगंज में सरस्वती इंटर कॉलेज के सामने ट्रक ने टक्कर मार दी। छात्रा को गंभीर चोटें आईं। पिता महेंद्र कुमार ने ट्रक चालक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी। कादम्बरी ने मुआवजा पाने के लिए बीमा कंपनी के खिलाफ अधिवक्ता महेंद्र कुमार मिश्रा के माध्यम से मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में याचिका दायर की।

मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के पीठासीन अधिकारी/जिला जज पीएन राय ने याचिका की सुनवाई की। गवाहों ने दुर्घटना के संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत करके गवाही दी। गवाही के आधार पर वाहन की बीमा कंपनी बजाज एलाइंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी की जवाबदेही तय की गई। दुर्घटना दावा अधिकरण के पीठासीन अधिकारी/जिला जज इंतखाब आलम ने बीमा कंपनी को घायल छात्रा कादम्बरी को 5.10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। इस धनराशि पर वाहन की बीमा कंपनी ब्याज भी देगी।

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अनियमित तदर्थ शिक्षक सेवा से होंगे बाहर, जांच शुरू

मैनपुरी। वर्षों से सहायता प्राप्त कॉलेजों में शिक्षण कार्य करने वाले अनियमित तदर्थ शिक्षक सेवा से बाहर होने जा रहे हैं। शासन के निर्देश के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक ने उनकी नियुक्ति की जांच शुरू कर दी है। कोर्ट के तदर्थ सेवा को समाप्त करने के आदेश के बाद शासन ने जिला विद्यालय निरीक्षक को तदर्थ शिक्षकों को जांच के बाद सेवा से बाहर करने के निर्देश दिए हैं।

सहायता प्राप्त कॉलेजों में वर्ष 1982 से तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति की गई। बीच में इन शिक्षकों के विनियमितीकरण का शासनादेश भी जारी हुआ। जिले के 19 तदर्थ शिक्षकों का आज तक विनियमितीकरण नहीं हो सका। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक निर्णय में सहायता प्राप्त कॉलेजों से तदर्थ शिक्षक प्रक्रिया को समाप्त करने के आदेश दिए थे। इसके बाद सरकार ने सात अगस्त 1993 से लेकर दिसंबर 2000 तक तैनाती पाने वाले अनियमित तदर्थ शिक्षकों को जांच कर सेवा से बाहर करने के निर्देश जारी किए है। जिला विद्यालय निरीक्षक को इसकी जांच के आदेश दिए गए हैं।

जिला विद्यालय निरीक्षक ने शासन के निर्देश पर जिले के तदर्थ शिक्षकों के अभिलेखों की जांच शुरू कर दी है। जिला विद्यालय निरीक्षक ने बताया कि जांच पूरी होते ही अनियमित तदर्थ शिक्षकों को सेवा से बाहर कर दिया जाएगा। तदर्थ शिक्षकों की जांच शुरू होते ही विभाग में खलबली मच गई है।

क्या है मामला

वर्ष 1982 में शासन ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड का गठन किया। इससे पहले सहायता प्राप्त कॉलेजों में नियुक्ति का अधिकारी प्रबंधक को था। 1982 में प्रबंधकों से नियुक्ति का अधिकार समाप्त कर दिया गया। लेकिन बोर्ड कई वर्षों तक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं कर सका। ऐसे में सरकार ने प्रबंधकों को तदर्थ (अस्थाई) शिक्षकों की तैनाती के आदेश दिए। बोर्ड शिक्षकों की तैनाती नहीं कर सका तो ये शिक्षक लगातार कार्य करते रहे। बीच में सरकार ने शासनादेश जारी किया कि तदर्थ शिक्षकों को मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक की संस्तुति के बाद स्थाई नियुक्ति दी जाए। लेकिन प्रबंधकों, डीआईओएस और संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय की दोषपूर्ण नीति के कारण कुछ शिक्षकों का विनियमितीकरण नहीं हो सका। अब उनकी नौकरी पर संकट आ गया है।

शासन के निर्देश पर तदर्थ शिक्षकों की जांच कराई जा रही है। जो भी शासनादेश के विपरीत नौकरी में पाया जाएगा उसको सेवा से बाहर किया जाएगा। अभी जांच चल रही है। – अजय कुमार सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक



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