Ashram will be built in Ayodhya on the lines of Kanchi Kamakoti Peeth, initiative of Shankaracharya Shankar

कांची कामकोठी मठ
– फोटो : संवाद

विस्तार


सप्तपुरियों में शामिल काशी, कांची और अयोध्या के रिश्ते और भी प्रगाढ़ होंगे। धर्म, अध्यात्म और शिक्षा की डोर से अयोध्या उत्तर-दक्षिण भारत के मिलन का नया अध्याय लिखेगी। कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती ने इसकी पहल की है। रामलला के विराजमान होने के साथ ही काशी, कांची और अयोध्या में शैक्षणिक, धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां भी तेज हो जाएंगी।

कांची के शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती की पहल पर अयोध्या में काशी और कांची की तर्ज पर कांची कामकोटि पीठ के आश्रम का निर्माण किया जाएगा। दक्षिण भारत से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां पर सारे इंतजाम होंगे। अयोध्या में संचालित कांची शंकर वेद विद्यालय का दायरा भी बढ़ाया जाएगा। वर्तमान में वेद विद्यालय में 21 आवासीय मिलाकर 60 बटुक अध्ययन कर रहे हैं। इस वेद विद्यालय में दक्षिण भारत के साथ ही काशी में पढ़ने वाले बटुक भी अध्ययन कर सकेंगे। विस्तारित होने वाले वेद विद्यालय में रोजगारपरक शिक्षा भी दी जाएगी। शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती का कहना है कि अयोध्या और कांची का रिश्ता तो त्रेतायुग से ही चला आ रहा है। ललितोपाख्यान में इसका वर्णन मिलता है। महाराज दशरथ ने पुत्र की कामना से मां कामाक्षी के दरबार में प्रार्थना की थी।

हनुमान घाट स्थित कांची कामकोटि मठ के प्रबंधक वी एस सुब्रमण्यम मणि ने बताया कि रामलला के विराजमान होने के बाद कांची कामकोटि मठ के विस्तार की प्रक्रिया आरंभ होगी। काशी की तर्ज पर ही अयोध्या में भी मठ का विस्तार व निर्माण किया जाएगा। शंकराचार्य की मंशा के अनुसार दक्षिण भारत से भक्त रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या पहुंचेंगे। इसकी भी तैयारियां की जा रही हैं।

कांची और काशी से जाएंगे 21 वैदिक

कृष्ण यजुर्वेद शाखा के 21 वैदिक ब्राह्मण रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए अयोध्या जाएंगे। इसमें से 17 वैदिक ब्राह्मण कांची से और चार काशी से शामिल होंगे।



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