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सरकारी फाइलों और कागजात तैयार करने का नायाब उदाहरण देखना हो तो असि और वरुणा नदी से अतिक्रमण हटाने के लिए गठित निष्पादन समिति के मीटिंग मिनिट्स से बेहतर शायद ही कुछ हो। फरवरी 2022 से जनवरी 2024 के बीच 21 बैठकों के मिनट्स के कंटेंट एक जैसे ही हैं।
चार फॉर्मेट में बने मीटिंग के मिनट्स में दिखाए गए ज्यादातर एक्शन प्लान भी कॉपी पेस्ट ही है। यही कारण है कि 23 नवंबर 2021 को एनजीटी के आदेश पर गठित निष्पादन समिति के 21 और निगरानी समिति की छह बैठकों के बाद भी निर्णय धरातल पर नहीं उतर पाए।
असि और वरुणा नदी के अस्तित्व को पुनर्जीवित करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दायर याचिका पर 23 नवंबर 2021 को आदेश पारित हुआ था कि निष्पादन समिति का गठन किया जाए। इसी के साथ एनजीटी के आदेश पर पर्यवेक्षणीय समिति का भी गठन किया गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नोडल की भूमिका में इन समितियों की समय-समय पर बैठक भी हुई। मीटिंग के मिनट्स प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से तैयार किए गए। अब तक निष्पादन समिति की 21 और पर्यवेक्षणीय समिति की छह बैठकों के मिनट्स में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं है।
हालांकि इन बैठकों में असि-वरुणा नदी की जमीन से अतिक्रमण हटाने और पुराने अस्तित्व में लाने के लिए कई अहम निर्णय लिए तो गए लेकिन ज्यादातर निर्णय धरातल पर उतर ही नहीं पाए। असि और वरुणा के पुनरुद्धार के लिए होने वाली बैठकों की जानकारी सार्वजनिक की गई है। एनजीटी के आदेश पर आम जनता की भागीदारी बढ़ाने के लिए इसकी शुरुआत हो गई है। इसके साथ ही पर्यावरणीय समन्वयक की भी नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मार्गदर्शन मांगा है।