Assistant Professor selection process completed in a hurry High Court seeks reply from Allahabad University

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– फोटो : अमर उजाला

हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कॉमर्स एंड बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर की चयन प्रक्रिया में बरती गई हड़बड़ी को देखकर हैरानी जताई। पूछा, इतनी भी क्या जल्दी थी कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही चयन प्रक्रिया पूरी कर ली। कोर्ट ने सामान्य श्रेणी का एक पद खाली रखने का निर्देश देते हुए विश्विद्यालय से पांच अगस्त तक जवाब मांगा है। 

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यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की अदालत ने दिविशा अग्रवाल की याचिका पर दिया है। याची ने विश्वविद्यालय की ओर से नवंबर 2022 में इलाहाबाद डिग्री कॉलेज के लिए विज्ञापित असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए होने वाले साक्षात्कार की चयन सूची को चुनौती दी थी। याची का दावा है कि वह पद के लिए योग्य उम्मीदवार है लेकिन उसे साक्षात्कार में नहीं बुलाया गया।

याची के अधिवक्ता सुदीप हरकौली ने दलील दी कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के मुताबिक वाणिज्य विषयों की सीधी भर्ती के लिए परास्नातक में 55 प्रतिशत अंक अनिवार्य है। याची बीकॉम के साथ एमबीए भी किया है, जो परास्नातक डिग्री है और विज्ञापित पद के लिए प्रासंगिक है। 

अपने तर्क के समर्थन में याची ने केंद्रीय विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की ओर से जारी विज्ञापन का हवाला दिया, जिसमें एमबीए की डिग्री को प्रासंगिक माना गया है। कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए 24 जुलाई को विश्वविद्यालय प्रशासन से जबाव तलब करते हुए 26 जुलाई को मामले की सुनवाई नियत की थी। 



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