Atiq Ashraf Murder Police could not find the property of Atiq shooters in five years

अतीक अहमद (फाइल फोटो)

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प्रयागराज के धूमनगंज में प्रॉपर्टी डीलर से 50 लाख की रंगदारी मांगने का केस दर्ज होने के बाद से अतीक अहमद गैंग एक बार फिर सुर्खियों में है। माफिया की मौत के बाद भी शूटरों की गुंडई को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि अतीक के शूटरों पर कार्रवाई को लेकर नरमी इस शहर में नई बात नहीं। 

हाल यह है कि माफिया के शॉर्प शूटरों की संपत्ति का पुलिस पांच साल में भी पता नहीं लगा पाई है। जिससे गैंगस्टर के मुकदमे में कार्रवाई अटकी पड़ी है। यह मुकदमा अक्तूबर 2018 में दर्ज हुआ था। इसमें अतीक के 14 गुर्गों को आरोपी बनाया गया था। इनमें उसके तीन शॉर्प शूटर आबिद प्रधान, फरहान व जुल्फिकार उर्फ तोता का नाम भी शामिल है।

यह मुकदमा तत्कालीन इंस्पेक्टर धूमनगंज संदीप मिश्रा की ओर से दर्ज कराया गया था। तहरीर में उन्होंने लिखा था कि आरोपी एक संगठित गिरोह के सदस्य हैं। इस गैंग का लीडर आबिद है। गैंग के सभी सदस्य अतीक अहमद के सहयोगी हैं। मुकदमा दर्ज होने के बाद इसकी विवेचना सिविल लाइंस थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर रविंद्र प्रताप सिंह को मिली। 

विवेचना पूरी कर मुकदमे में चार्जशीट भी लगा दी गई, लेकिन पुलिस शूटरों समेत सभी आरोपियों में से एक की भी संपत्ति नहीं खोज पाई। यह हाल एक-दो नहीं बल्कि सभी विवेचकों का रहा। नतीजतन अतीक के कुख्यात सहयोगियों के खिलाफ पांच साल में भी गैंगस्टर एक्ट की धारा 14(1)के तहत कुर्की की कार्रवाई नहीं कर सकी। 



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