आगरा में 20 साल पहले उधार के रुपये देने के बहाने आरोपियों ने शहर के प्रख्यात डॉक्टर राकेश मोहनियां का फिरौती मांगने के लिए अपहरण किया था। राहगीरों ने शोर सुनकर उन्हें मुक्त कराया था। अदालत ने थाना किरावली क्षेत्र के गांव अभुआपुरा निवासी होम्योपैथिक डॉक्टर राजेंद्र सिंह और फिरोजाबाद के नसीरपुर निवासी साधु यादव उर्फ शादी लाल उर्फ नरेंद्र को मामले में दोषी पाया। विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावी क्षेत्र दिनेश तिवारी ने आजीवन कारावास के साथ 20-20 हजार रुपये की सजा सुनाई।
थाना शमसाबाद में 3 दिसंबर, 2005 को थाना सदर क्षेत्र के राजपुर चुंगी निवासी डॉक्टर राकेश मोहनियां ने तहरीर दी थी। बताया था कि उनका एक कोल्ड स्टोर भी है। घर के पास होम्योपैथिक डॉक्टर राजेंद्र सिंह क्लिनिक संचालित करते थे। आरोप है कि राजेंद्र सिंह ने अपने खेत के आलू कोल्ड स्टोर में रखने का वादा कर 2 लाख रुपये एडवांस के रूप में लिए थे। 1.50 लाख रुपये अपने परिचितों को दिला दिए थे। रुपये लेने के बाद भी आरोपियों ने आलू का भंडारण उनके कोल्ड में नहीं किया। उन्होंने रुपयों की मांग की। इस पर आरोपी बहाने बनाता रहा। 3 दिसंबर, 2005 को राजेंद्र सिंह उनके अस्पताल पर आया। रकम देने के बहाने से अपने गांव की बोलकर कार में बैठा लिया। चमरोली मोड़ पर कार में दो अज्ञात युवक और बैठा लिए।
तहरीर के अनुसार शमसाबाद से राजाखेड़ा रोड पर शौच करने के बहाने से गाड़ी रोक ली। पहिये में हवा कम होने का बहाना बनाकर उन्हें पीछे बैठा दिया। दोनों अज्ञात युवकों ने उनके साथ मारपीट कर मुंह में कपड़ा ठूसने की कोशिश की। खींचतान के दौरान कार का दरवाजा खुल गया। उनके दोनों पैर कार के बाहर लटक गए। यह देख मोटरसाइकिल सवार राहगीर रामदेव शर्मा और भगवान सिंह ने बाइक को कार के आगे लगाकर रोक लिया। उन्हें आरोपियों से मुक्त कराया। विवेचक ने फिरौती के लिए अपहरण के आरोप में डॉक्टर राजेंद्र सिंह और साधु यादव उर्फ शादी लाल उर्फ नरेंद्र के विरुद्ध अदालत में आरोपपत्र प्रेषित किया था। संवाद