Ayodhya Mosque: Construction stuck due to lack of money, in the same condition for five years, even the map ca

अयोध्या मस्जिद के प्रस्तावित जमीन।
– फोटो : अमर उजाला।

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अयोध्या राम मंदिर के फैसले के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने मस्जिद के लिए भी जमीन देने की बात कही थी। राम मंदिर तो लगभग बन चुका है, दर्शन भी शुरू हो चुके हैं लेकिन मस्जिद निर्माण की प्रक्रिया अटकी है। राममंदिर निर्माण का कार्य जहां 80 फीसदी तक पूरा हो चुका है, वहीं पिछले पांच साल में मस्जिद निर्माण की प्रक्रिया एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है। आलम यह है कि मस्जिद ट्रस्ट अब तक धन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद निर्माण के लिए नक्शा तक नहीं पास करा सका है। मस्जिद ट्रस्ट इसका कारण धन की कमी बता रहा है।

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नौ नवंबर 2019 को अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने राममंदिर के हक में निर्णय सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण करने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने सोहावल के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए आवंटित की थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण तो लगभग पूरा हो गया है, लेकिन धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद की अब तक नींव भी नहीं पड़ सकी है।

चैरिटी हॉस्पिटल के निर्माण में 300 करोड़ के खर्च का अनुमान

 इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन मस्जिद निर्माण में देरी की वजह का प्राथमिक कारण पैसों की कमी बताते हैं। वो कहते हैं कि ट्रस्ट इस जमीन पर निर्माण को लेकर व्यापक योजना बना रहा है। योजना के अनुसार यहां मस्जिद के अलावा एक अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल, एक सामुदायिक कैंटीन और 1857 की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई की यादों को संजोने के लिए एक म्यूज़ियम बनाया जाएगा। हुसैन कहते हैं कि जितनी उम्मीद थी, उससे कम पैसा जमा हो पाया है, इसलिए काम में देरी हो रही है। बताया कि मस्जिद निर्माण में करीब 12 करोड़ लेकिन चैरिटी हॉस्पिटल के निर्माण में करीब 300 करोड़ के खर्च का अनुमान है।

अनुमति में बाधा बन रहीं थी समितियां

इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) ने अपनी चारों उप समितियों को शुक्रवार को भंग का दिया। अतहर हुसैन ने बताया कि यह फैसला विदेशी चंदा हासिल करने की अनुमति प्राप्त करने के लिए किया गया है, क्योंकि सभी उप समितियां अनुमति मिलने में बाधा बन रही थीं। इसके साथ ही मस्जिद के नाम पर फर्जी बैंक खातों के खुलने की खबर आई थी। इससे निपटने के लिए ट्रस्ट ने एक एफआईआर भी दर्ज करवाई थी। ट्रस्ट के सचिव के अनुसार प्रशासनिक समिति, वित्त समिति, मस्जिद विकास समिति और मीडिया व प्रचार समिति को भंग किया गया है।

ट्रस्ट ने एफसीआरए के लिए किया आवेदन

अतहर हुसैन ने बताया कि नक्शा पास कराने के लिए करीब एक करोड़ शुल्क देना होगा। इतना धन अब तक एकत्र नहीं हो पाया था। अभी तक चंदे के रूप में लगभग एक करोड़ ही मिले हैं। विदेशी चंदा लेने के लिए एफसीआरए (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) में पंजीकरण की आवश्यकता है। इसलिए पंजीकरण के लिए आवेदन कर दिया है। तीन साल की ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई है। पंजीकरण होने के बाद गल्फ देशों से चंदा मिलने लगेगा जिसके बाद धन की कमी दूर होने की पूरी संभावना है।



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