
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती।
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नगरी भगवान राम की है, संदेश भी आदर्श और सामाजिक समरसता का होगा। रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के साथ ही पुजारियों से जुड़े नए प्रतिमान गढ़े जाएंगे। राममंदिर के लिए पूरे देश से चुने गए 24 पुजारी प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें से दो अनुसूचित जाति (एससी) व एक पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं।
मंदिर के विग्रहों पर पूजन के लिए राममंदिर के महंत मिथिलेश नंदिनी शरण और महंत सत्यनारायण दास पौरोहित्य व कर्मकांड का प्रशिक्षण दे रहे हैं। हालांकि पहली बार नहीं है, जब किसी गैर ब्राह्मण को पुजारी नियुक्त किया गया है।
राममंदिर में इसके पूर्व में मुख्य पुजारी अन्य पिछड़ा वर्ग से थे। दक्षिण भारत के मंदिरों की बात करें तो 70 फीसदी पुजारी गैर ब्राह्मण हैं। शैव परंपरा के अखाड़ों में भी गैर ब्राह्मणों का ही वर्चस्व है।
पुजारियों का चयन सिर्फ योग्यता के आधार पर किया गया है। स्वामी रामानंद ने कहा था जाति पाति पूछे न कोई, हरि का भजे सो हरि का होई… प्राणप्रतिष्ठा के साथ ही समाज को भी एक नया संदेश देने के लिए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने यह पहल की है। – स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, महामंत्री, अखिल भारतीय संत समिति