Ayodhya Ram Mandir Jhingu and his friend chisels and hammers are working on sorting rocks

Ayodhya Ram Mandir
– फोटो : अमर उजाला

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मिर्जापुर के अचितपुर गांव निवासी झींगू, उनके परिजन और गांव के लोग रामधुन गाते हुए मंदिर के लिए शिलाओं पर दनादन छेनी-हथौड़े चला रहे हैं। सभी उस वक्त से शिलाओं को गढ़ने में लगे हैं, जब यह भी पता नहीं थी कि मंदिर बनेगा या नहीं।

झींगू कहते हैं…रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। जीवन धन्य हो गया कि शिलाओं की छंटाई का काम हमें मिला। उन्होंने बताया कि राममंदिर के लिए पत्थरों का काम शुरू हुआ, तो उसे चढ़ाने-उतारने व उसकी सफाई के लिए कारीगरों की जरूरत थी। 

अन्नू सोमपुरा को पता चला कि मिर्जापुर में ऐसे काम करने वाले लोग हैं। उनके बुलावे पर गांव के शंभू, महेश व घूरेलाल 1990 में अयोध्या आए थे। बाद में रामनरेश आ गए। मैं और संपत 2001 में आए। शंभू व महेश अब नहीं रहे। संपत-घूरेलाल अधिक उम्र के चलते लौट गए। मैं व रामनरेश अब भी काम कर रहे हैं।

झींगू बताते हैं कि 2002 में शिलापूजन का कार्यक्रम था। हजारों कारसेवक अयोध्या आए थे। माहौल गरम था। तय हुआ कि एक शिला केंद्र सरकार के प्रतिनिधि को दी जानी है। 



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