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न्यायपालिका व अभियोजन पक्ष की कड़ी पैरवी के बाद एक 15 साल की किशोरी को महज एक माह में न्यायाधीश ने इंसाफ दिलाया है। न्यायाधीश ने शनिवार को बिटिया के साथ दुष्कर्म करने के प्रयास के मामले में अभियुक्त को दस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए पचास हजार के अर्थदंड से दंडित भी किया है। अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में अभियुक्त को एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
दुराचारियों के आचरण पर सख्ती दिखाते हुए न्यायपालिका ने कड़ा रूख अपनाना शुरू कर दिया है। एक ऐसे ही नाबालिग से दुष्कर्म करने के प्रयास के मामले को विशेष न्यायाधीश पाक्सो वरूण मोहित निगम ने गंभीरता से लेते हुए महज एक माह में ही अभियुक्त को सजा सुनाई है। विशेष शासकीय अधिवक्ता पाक्सो संतप्रताप सिंह व विशेष लोक अभियोजक पाक्सो संतोष सिंह ने बताया कि गत छह अप्रैल को वादी मुकदमा ने थाना रामगांव के बढैया गांव निवासी शरीफ के खिलाफ अपनी 15 साल की बिटिया के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
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थाने की पुलिस ने विभिन्न धाराओें में मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की थी। मुकदमें में विवेचना अधिकारी व थाने के उपनिरीक्षक अमितेंद्र सिंह से तेजी से विवेचना करते हुए पीड़ित बिटिया के बयान व अन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोप पत्र तैयार कर विशेष न्यायाधीश पाक्सो के न्यायालय में प्रस्तुत किया। शासकीय अधिवक्ताओं ने बताया कि विशेष न्यायाधीश पाक्सो निगम ने मुकदमें को गंभीरता से लेते हुए तेजी से सुनवाई शुरू की थी। इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से सभी साक्ष्यों को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। जिस पर शनिवार को विशेष न्यायाधीश पाक्सो ने सुनवाई करते हुए अभियुक्त को अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाते हुए अधिकतम दस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
शासकीय अधिवक्ताओं ने बताया कि न्यायाधीश ने अभियुक्त को पचास हजार के अर्थदंड से दंडित करते हुए अर्थदंड की धनराशि पीड़िता को देने के निर्देश भी दिए है। न्यायाधीश ने यह भी निर्देश दिए कि अगर अभियुक्त पर अलग-अलग धाराओं में अर्थदंड की धनराशि अदा नहीं की तो उसको अधिकतम एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।