सेवायतों का कहना है कि यह गलत परंपरा थी, जिसके चलते उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया और नई पोशाक लेकर शिष्य बाहर ही खडे़ रहे।
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सेवायतों का कहना है कि यह गलत परंपरा थी, जिसके चलते उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया और नई पोशाक लेकर शिष्य बाहर ही खडे़ रहे।
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