Bodla land case: liquor and ganja to trap innocent family could not be found out

थाने में रखे सामान को देखता पीड़ित
– फोटो : अमर उजाला

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आगरा के बोदला में 10 हजार वर्ग मीटर जमीन पर कब्जे के प्रकरण में दो माह बाद भी पुलिस की जांच में यह साफ नहीं हो सका है कि फर्जी मुकदमों में अवैध शराब और गांजा कहां से लाया गया था। एक मुकदमे में पुलिस फाइनल रिपोर्ट भी लगा चुकी है। वहीं आबकारी निरीक्षक और सिपाहियों से भी पूछताछ नहीं की गई है।

बोदला के चर्चित जमीन प्रकरण में जमीन पर कब्जे के लिए डकैती के केस में पुलिस ने शुक्रवार को खाली प्लाॅट से लूटा गया माल बरामद कर लिया। इस मामले में अभी तक यह खुलासा नहीं हो सका है कि पुलिस ने चौैकीदार रवि, शंकरिया और ओमप्रकाश को गांजा तस्करी और उसकी पत्नी और बहन को शराब बरामदगी के मामले में जेल भेजा था। काफी मात्रा में गांजा और शराब भी बरामद की गई थी। मामले में आबकारी निरीक्षक व सिपाहियों की संलिप्तता पाए जाने पर विभाग ने उन्हें निलंबित किया था। पर, गांजा व शराब कहां से लाए गए? यह अनसुलझा है। इसी तरह पीड़ितों पर दर्ज कराए गए फर्जी मुकदमे भी अभी तक वापस नहीं लिए गए हैं। पीड़ित चौकीदार को अब भी न्याय का इंतजार है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कराने वाली जमीन की कथित वादिनी उमा सिंह को भी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया है।

मालिकाना हक की तहसील की जांच नोटिसों तक सिमटी

चर्चित बोदला भूमि प्रकरण में तहसील सदर की टीम 62 दिन बाद भी यह पता नहीं लगा सकी है कि जमीन पर मालिकाना हक किसका है। सरदार टहल सिंह जीवित हैं तो उनका मृत्यु प्रणाम पत्र कैसे बन गया? अभी तक यह तहसील प्रशासन नोटिस नोटिस खेल रहा है। जमीन की पैमाइश तक नहीं की गई है। वहीं सांसद राजकुमार चाहर ने इस जमीन के वारिसान से पूछताछ करने के लिए भी तत्कालीन पुलिस आयुक्त को पत्र लिखा था। पुलिस का कहना है कि जमीन के मालिकाना हक की जांच सदर तहसील प्रशासन कर रहा है। वह केवल कब्जे के प्रकरण की जांच तक सीमित हैं।



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