British law is still in effect on canals money is being collected from farmers exploitation is happening

किसान। संवाद

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कैनाल एक्ट 1873 में बना। जिसे अब 152 साल बीत चुके हैं। इधर, इससे पहले 1862 में अंग्रेजों का लागू कानून भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 162 साल बाद 2024 में बदलकर भारंतीय दंड संहिता (बीएनएस) हो चुकी है। नहरों से सिंचाई करने के वाले किसानों के लिए कानून नहीं बदला। प्रदेश में सिंचाई शुल्क माफ है। किसान नेता चौधरी दिलीप सिंह ने बताया कि मुफ्त सिंचाई के लिए पानी मिलने के बाद भी नहरों पर जिलेदार, मुंशी से लेकर सहायक अभियंताओं की मनमानी चल रही है।

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नया कुलाबा खोलने या गूल बनाने पर कैनाल एक्ट की धारा 70 में मुकदमा दर्ज होता है। जिसमें नहर मजिस्ट्रेट सुनवाई करता है। एक महीने के कारावास से लेकर अर्थदण्ड तक का प्रावधान है। इसी का फायदा उठाकर किसानों से जिलेदार व मुंशी वसूली कर रहे हैं। ठिपरी गांव के किसान से फतेहपुर सीकरी में तैनात जिलेदार बनवीर सिंह व मुंशी तारा सिंह ने 10 हजार रुपये रिश्वत मांगी। सोमवार को एंटी करप्शन टीम ने जाल बिछाकर जिलेदार बनवीर सिंह व मुंशी तारा सिंह को गिरफ्तार कर लिया। दोनों को जेल भेजा है।

अधिशासी अभियंता हुए थे गिरफ्तार

दिसंबर 2023 में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधिशासी अभियंता सौरभ शरद गिरी को विजिलेंस ने बंगले से 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। फतेहपुर सीकरी दूरा गांव में तालाब सुखाने के आरोपों में घिरे अधिशासी अभियंता कर्णपाल सिंह व सहायक अभियंता नाहर सिंह के विरुद्ध भी शिकायतों की लंबी फेहरिस्त है। इनके अलावा सींचपाल, सींच पर्यवेक्षक से लेकर नहर सिल्ट सफाई में 2012-13 में अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता सहित 12 अभियंताओं के विरुद्ध आरोपपत्र दायर हो चुका है।

 



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