Broken culverts in agra are becoming the cause of accidents

मृतका फाइल फोटो और पुलिया जहां हुआ हादसा।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

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कागजों में स्मार्ट सिटी बन चुके शहर में कहीं पुलिया टूटी है, कहीं खुले मैनहोल और कहीं मैनहोल के ढक्कन गायब हैं। सड़क सुरक्षा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। समाजसेवियों का कहना है कि कोई मरे या जीए, जिम्मेदारों पर इसका कोई फर्क नहीं है। नगर निगम की लापरवाही से कारखाना संचालक राजेश की जान चली गई।

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यहां निकलना खतरे से खाली नहीं

नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल के निर्देश पर क्षतिग्रस्त पुलिया, खुले मेनहोल का सर्वे कराने का बृहस्पतिवार को दावा किया गया। लेकिन, हादसे के 24 घंटे बाद भी धरातल पर हकीकत नहीं बदली। अमर उजाला टीम ने पड़ताल की। आवास विकास कॉलोनी सेक्टर-4 में एक बैंक के सामने छह महीने पहले बनी पुलिया क्षतिग्रस्त मिली। टूटी पुलिया पर अंधेरा है। रात में किसी जान जा सकती है।

शिकायत पर नहीं होती सुनवाई

क्षेत्रीय पार्षद गजेंद्र पिप्पल का कहना है कि शिकायत पर सुनवाई नहीं होती। मारुति एस्टेट चौराहा स्थित सुलहकुल नगर में सीवर मैनहोल का ढक्कन धंस गया। ऊपर से वाहन गुजर रहे हैं। बड़ा हादसा हो सकता है।

रेजिडेंट सोसाइटी के अध्यक्ष राकेश शर्मा का कहना है कि सीवर व मैनहोल रखरखाव करने वाली एजेंसी हर साल करोड़ों रुपये वसूल रही है। इसके बाद भी क्षतिग्रस्त मैनहोल पर ढक्कन नहीं लगाए जा रहे हैं।

और कितनी जाएंगी जान

सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने शंकरगढ़ पुलिया पर हुए हादसे के बाद डीएम व नगरायुक्त को पत्र लिखा है। दोषियों के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा और पीड़ितों को मुआवजा दिलाने की मांग उठाई है। साथ ही पूछा है कि और कितनी जानें जाएंगी, तब जिम्मेदारों के आंख-कान खुलेंगे।

 



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