
पीएम आवास का मॉडल।
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केन्द्रीय बजट में किराये पर, चाल, झुग्गी-झोपड़ी और अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों के लिए आवासीय योजना शुरू करने की घोषणा से मध्यम वर्ग के उन लोगों को मकान मिलने की उम्मीद जग गई है, जिनके पास अभी तक मकान नहीं हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस योजना के लागू होने पर हर साल करीब दो लाख से अधिक लोगों को मकान उपलब्ध कराया जा सकेगा। हालांकि इसको लेकर तस्वीर तभी साफ हो पाएगी, जब केन्द्र सरकार द्वारा इस योजना के लिए पात्रता तय कर दी जाएगी।
नगर विकास विभाग के एक उच्चाधिकारी के मुताबिक केन्द्रीय बजट में घोषित योजना का प्रारूप जब तक सामने नहीं आएगा, तब तक योजना के लाभार्थियों की संख्या का निर्धारण नहीं किया जा सकता है। अलबत्ता इस योजना के लागू होने से प्रदेश में बड़े तबके को इसके दायरे में लाने का रास्ता साफ हो जाएगा। वहीं, प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (पीएमएवाई) के क्रियान्वयन से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि प्रदेश में अभी तक चाल, झुग्गी-झोपड़ी और अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों का सर्वे नहीं कराया गया है। इसलिए ऐसे लोगों की संख्या तय नहीं है।
उनका कहना है ऐसी अधिकांश आबादी को प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के तहत मकान उपलब्ध करा दिया गया है। प्रदेश में इस योजना के विभिन्न घटकों के तहत कुल 17 लाख 65 हजार 771 आवास स्वीकृत हुए थे, जिसमें से 14 लाख 39 हजार 721 मकानों का निर्माण कार्य पूरा करके लाभार्थियों को आवंटित कर दिया गया है। इस प्रकार मौजूदा समय में 3 लाख 26 हजार 50 मकान बनाने ही शेष रह गए हैं। इसके अलावा इस योजना के तहत अब कोई भी प्रस्ताव लंबित नहीं है।
बता दें कि प्रदेश में गरीबों और निम्न मध्य वर्ग के लिए कई आवासीय योजनाएं लागू हैं। इन सभी योजनाओं में 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस और 10 फीसदी एलआईजी मकान आरक्षित होते हैं, लेकिन मध्य वर्ग के लिए सीधे तौर पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। आवास विभाग द्वारा निजी क्षेत्रों की भागीदारी से अफोर्डेबल नीति को मंजूरी दी गई है, लेकिन यह योजना अभी तक पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ पाई है। केंद्र सरकार द्वारा अंतरिम बजट में अपना घर खरीदने के लिए मध्य वर्ग आवास योजना शुरू करने की घोषणा से उम्मीद जगी है।