संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा

Updated Thu, 19 Jun 2025 01:36 AM IST

Build two dampeners to save from the wrath of Ganga

गंजडुंडवारा में कादरगंज गंगाघाट पर कटान रोधी कार्य करते मजदूर।


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कासगंज। जिले में पिछले चार वर्षों से पटियाली के कादरगंज सहित आसपास के इलाकों में गंगा की धारा लगातार कटान कर रही है। इस धारा के अनियंत्रित होने पर कादरगंज इलाके के 25 गांव खतरे के मुहाने पर रहते हैं। इस बार इन गांवों को बाढ़ से बचाने की कवायद इस बार कुछ नए प्रयोगों के साथ की गई है। जिले में पहली बार कादरगंज पर कटान रोकने के लिए सिंचाई विभाग ने दो डैंपनर बनाए हैं। वहीं इस कटानरोधी परियोजना में एक लाख जियो बैग इस्तेमाल किए हैं, 21 से 22 लाख पीपी बैगों में रेत भरकर नायलॉन क्रेट व गैवियन क्रेट के साथ लगाया गया है।कादरगंज पर यह कार्य अब अंतिम चरण में है। पूरे घाट पर सिंचाई विभाग के द्वारा बनाए गए डैंपनर और पांच स्पर ग्रामीणों को कटान से बचाव का दिलासा दे रहे हैं। करीब आठ करोड़ रुपये की लागत से कादरगंज में दो स्थानों पर यह कार्य किया गया है। एक कादरगंज घाट पर यह कार्य चल रहा है और दूसरा नगला खंदारी की ओर यह कार्य चल रहा है। जिससे 25 गांव को बाढ़ व कटान से सुरक्षा मिल सकेगी। करीब 700 परक्यूपाइन स्टड का घेरा बनाया गया है। जहां पिछली बार कटान कर रही गंगा की धारा का दबाव बना हुआ था। परक्यूपाइन स्टड के अलावा एक हजार मीटर लंबा बांध बनाया गया है। बांध की सुरक्षा के लिए एक लाख नायलॉन क्रेट में रेत भरे पीपी बैग बांधकर लगाए गए हैं। जिससे गंगा की धारा के तीव्र प्रवाह का असर बांध पर न हो सके। मानसून आने के बाद से ग्रामीणों को इस बात की आशंका है कि कभी भी गंगा की धारा में उफान आ सकता है। ग्रामीण लगातार सिंचाई विभाग के कटानरोधी कार्यों पर निगाह बनाए हुए हैं। कादरगंज घाट के श्मशान की ओर अभी भी सिंचाई विभाग के श्रमिक कार्य को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। वे लगातार रेत के पीपी बैग भरकर लगा रहे हैं।

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क्या है डैंपनर का काम : नदी के किनारे डैंपनर को पानी का दबाव व प्रवाह के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए बनाया जाता है। यह किनारों की सुरक्षा करेगा। कटान करती गंगा की धारा डैंपनर से टकराकर पानी के मुख्य प्रवाह की ओर चली जाएगी। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए डैंपनर बनाए जाते हैं।



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