
कम बसें होने से यात्रियों को संघर्ष करना पड़ा।
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मोटर व्हीकल एक्ट में हिट एंड रन कानून से जुड़े बदलाव के विरोध में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बस चालकों की हड़ताल के चलते मंगलवार को रोडवेज बसों के चक्के लगभग जाम रहे। प्रदेश में 6958 बसों में से 3812 बसों का संचालन नहीं हो सका, इसमें से भी 2732 बसें केवल चालक नहीं मिलने के कारण बंद रही। करीब 55 फीसदी बसों का संचालन बंद रहने से लाखों की संख्या में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
निगम की ओर से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को 6958 बसों का संचालन प्रस्तावित था। इसमें से 3146 बसों का संचालन हुआ जबकि 3812 बसें नहीं चली। निगम के अधिकारी ने बताया कि बस चालकों की हड़ताल के कारण 2732, परिचालक नहीं मिलने से 7, वर्कशाप के कारण 26, यात्री नहीं मिलने के कारण 5, अन्य कारणों से 1038 बसों का संचालन नहीं हुआ।
नोएडा में सर्वाधिक 76 प्रतिशत, गाजियाबाद में 70 प्रतिशत,इटावा में 69 प्रतिशत,अयोध्या में 66 प्रतिशत, आगरा में 62 प्रतिशत, प्रयागराज में 61 प्रतिशत और चित्रकूट में 57 प्रतिशत बसों का संचालन नहीं हुआ। निजी बसों के साथ रोडवेज बसें नहीं चलने से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। हजारों की संख्या में लोगों को अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी। रोडवेज की ओर से जितनी बसें संचालित की गई उनमें अधिकांश में क्षमता से डेढ़ गुना तक यात्रियों ने सफर किया। बस स्टैंड पर ही बसों के लिए धक्का मुक्की और भीड़भाड़ की स्थिति रही।
लखनऊ शहर रहा प्रभावित
निगम के लखनऊ रीजन की 693 बसों में से मात्र 259 ही मंगलवार को रूट पर भेजी जा सकीं। 434 बसों के ड्राइवर ही नहीं आए। सर्वाधिक दिक्कत गोरखपुर और हरदोई में हुई। गोरखपुर में जहां 549 में से मात्र 88 बसें चलीं, वहीं हरदोई में 465 में से मात्र 66 बसें ही चलीं। इसी तरह बरेली में मात्र 19 फीसदी बसों को ही रूट पर भेजा जा सका। नोएडा, गाजियाबाद, इटावा आदि में सर्वाधिक बसें चलाई जा सकीं। प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर 100 फीसदी बसों के संचालन के आदेश दिये हैं।