लखनऊ के द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने सोमवार को सीए फाइनल के परिणाम घोषित कर दिए। इस बार चार्टर्ड अकाउंटेंसी की परीक्षा में शीर्ष पांच में राजधानी की दो बेटियों ने अपनी मेधा से जगह बनाई है।

चार्टर्ड अकाउंटेंसी की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है, जहां हर एक नंबर हजारों उम्मीदवारों के सपनों को पीछे छोड़ देता है। ऐसे में लखनऊ से अव्वल रहीं दिव्या गोयल और महिलाओं में दूसरे नंबर पर रहीं राजे बाजपेयी ने यह सफलता अपने पहले प्रयास में ही हासिल की है जो नए सीए अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणादायक है।

कॉर्पोरेट जॉब में जाना है पहली पसंद

सीए की परीक्षा में कामयाबी के बाद बातचीत में इन मेधावियों ने बताया कि कॉरपोरेट जॉब में जाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। दिव्या गोयल और राजे बाजपेयी कहती हैं कि शुरुआती कुछ साल कॉरपोरेट सेक्टर में जॉब करने के बाद खुद के प्रैक्टिस करना है।

 




CA Exam: Divya was the city topper, Raje Bajpai was second among women; read the stories of the toppers

राजे बाजपेयी की तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला नेटवर्क


आर्थिक सुरक्षा के लक्ष्य से मिली कामयाबी

लखीमपुर खीरी की दिव्या गोयल ने बताया कि माता-पिता और गुरुओं की प्रेरणा ने हमेशा प्रेरित किया। मूलरूप से लखीमपुर खीरी निवासी पिता बॉबी गोयल कारोबारी हैं और मां मंजू गृहिणी हैं। 11वीं की पढ़ाई के दौरान अकाउंट्स के शिक्षक और पापा ने इस क्षेत्र में जाने के लिए हौसला बढ़ाया। हमेशा सोचा कि सीए बन जाउंगी तो जीवन में आर्थिक सुरक्षा आएगी। माता-पिता की खुशी के लिए कुछ कर सकूंगी। कॉर्पोरेट जॉब में जाना है। 

जिद ठान लिया था कि बनना है सीए

लखनऊ के राजे बाजपेयी ने बताया कि अपने पहले प्रयास में ही सीए परीक्षा में कामयाबी हासिल किया है। लखनऊ निवासी अनिल बाजपेयी बिजनेसमैन हैं और मां पूनम बाजपेयी गृहिणी हैं। दोनों ने हमेशा हर कदम पर सपोर्ट किया। लखनऊ विश्वविद्यालय से बीकॉम किया है।

अकाउंट्स के एक शिक्षक ने एक बार यूं ही कह दिया कि सीए बड़ी चीज है, तुम्हारे बस की बात नहीं। उनकी बात दिल में घर कर गई और ठान लिया कि सीए बन कर दिखाना है। हठ और धैर्य, ये दोनों मेरे साथी रहे। आखिरकार कामयाबी मिली। फिलहाल काॅर्पोरेट जाॅब में जाना है इसके बाद खुद की प्रैक्टिस करनी है।  


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अभिषेक पांडेय
– फोटो : अमर उजाला नेटवर्क


हाड़तोड़ मेहनत से घर चलाया

अभिषेक पांडेय ने बताया कि घर में बड़ा हूं। देवरिया के रूद्रपुर निवासी पिता नागेंद्र पांडेय नौकरी से सेवानिवृत्त हैं। मां वसुधा गृहिणी हैं। घर की सारी जिम्मेदारी मुझ पर है। घर चलाने और पैसे कमाने के लिए लखनऊ में प्राइवेट नौकरी के दौरान हाड़तोड़ मेहनत की। साथ ही समय निकाल कर पढ़ाई भी की। मेरी कामयाबी दरअसल- अभाव का प्रभाव है। लगन और मेहनत से सपने सच होते हैं। सीए परीक्षा में सफलता का श्रेय माता-पिता को है। 




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