Case of murder of fire department constable Theory written in CBCID charge sheet failed in ADJ court all three

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मथुरा के हाईवे थाना क्षेत्र में 20 वर्ष पहले अग्निशमन विभाग के सिपाही नरेश शर्मा की हत्या में बृहस्पतिवार को एडीजे कोर्ट ने आरोपी अग्निशमन विभाग के ही तीन सिपाहियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है। आरोपी श्यामवीर अभी फिरोजाबाद, भूदत्त आगरा में और लाल सिंह अलीगढ़ में तैनात हैं।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुनील भार्गव गुड्डू ने बताया कि 2004 में मथुरा अग्निशमन कार्यालय में तैनात सिपाही नरेश कुमार शर्मा पुत्र मुरारीलाल शर्मा निवासी अछनेरा, आगरा की गोली मारकर व लाठी से पीटकर हत्या कर दी गई थी। इसका मुकदमा उसके मामा शिवनारायण तिवारी ने दर्ज कराया था। आरोप था कि नरेश अपने साथी सिपाही लाल सिंह के साथ बाइक पर आ रहा था। रास्ते में अग्निशमन अधिकारी सत्यपाल द्वारा उसकी हत्या कर दी गई। हत्या का उद्देश्य सत्यपाल के खिलाफ नरेश द्वारा विभागीय शिकायत करना बताया।

पुलिस मामले की जांच कर रही थी, लेकिन 2005 में मामला जांच के लिए सीबीसीआईडी आगरा को सुपुर्द कर दिया। सीबीसीआईडी ने जांच में सत्यपाल का नाम निकाल दिया और चश्मदीद लाल सिंह निवासी गुरसानी, आगरा, श्यामवीर सिंह निवासी अछनेरा और भूदत्त गौतम निवासी महरारा, सादाबाद, हाथरस को आरोपी बनाकर 2006 में चार्जशीट दाखिल की। ये तीनों उस वक्त अग्निशमन विभाग में सिपाही थे और मथुरा में ही तैनात थे। 2006 में सभी आरोपी हाईकोर्ट से स्टे ले आए। 2022 में स्टे हटा और इसके बाद सेशन कोर्ट में ट्रायल चला। मगर, सीबीसीआईडी की थ्योरी कमजोर साक्ष्यों के कारण कोर्ट में टिक न सकी। अदालत ने श्यामवीर, भूदत्त और लाल सिंह को बरी कर दिया है।

लाठी और सरकारी आवास की दीवार की सफेदी पर टिकाई सीबीसीआईडी ने थ्योरी

बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुनील कुमार भार्गव गुड्डू ने बताया कि सीबीसीआईडी ने चार्जशीट में एक लाठी को हत्या में इस्तेमाल किए जाने का साक्ष्य बनाते हुए अपनी थ्योरी तैयार की थी। सीबीसीआईडी ने घटनास्थल से एक लाठी का बरामद होना बताया। उस लाठी पर सफेदी लगी होना व उक्त सफेदी का मिलान लाल सिंह के सरकारी आवास की दीवार की सफेदी से होना एफएसएल रिपोर्ट में दर्शाया। बचाव पक्ष ने साक्ष्य का विरोध करते कोर्ट को बताया कि जिस लाठी को मौके से बरामद होना बताया गया है, उसे नियमानुसार कपड़े में लपेटकर सील ही नहीं किया गया था। एक साल तक लाठी ऐसी ही पड़ी रही। वहीं, सरकारी आवास की सफेदी पर कोर्ट को बताया कि लाल सिंह ही नहीं, बल्कि सभी कर्मचारियों के सरकारी आवासों पर एक जैसी सफेदी हुई थी। ऐसे में यह नहीं माना जा सकता कि लाठी पर मिली कथित सफेदी लाल सिंह के आवास की ही है।

 



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