
कोर्ट (प्रतीकात्मक)
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ताजनगरी आगरा के शमसाबाद में नौ साल पहले सांप्रदायिक बवाल हुआ था। दरोगा अशोक कुमार ने 106 नामजद और 300 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया। मगर, विवेचना के बाद चार्जशीट सिर्फ एक को ही आरोपी आकाश गुप्ता को बनाकर लगा दी। अदालत में सुनवाई के दौरान गवाहों ने घटना का समर्थन नहीं किया। अदालत ने विवेचक से कहा कि एक आरोपी दंगा कैसे कर सकता है। इसके बाद आरोपी को बरी करने के आदेश किए।
दरोगा अशोक कुमार ने मुकदमे में लिखा कि 3 सितंबर 2015 को शमसाबाद क्षेत्र के गांव हरसहाय खिड़की निवासी आकाश ने अपनी फेसबुक पर एक धर्म विशेष के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट की। उन्होंने पुलिस टीम के साथ मौके पर जाकर देखा तो दो समुदाय के लोग हाथों में लाठी डंडे, ईंट-पत्थर लेकर एक-दूसरे के साथ मारपीट कर रहे थे। कुछ देर के बाद ही फायरिंग होने लगी। बाजार में भगदड़ मच गई।
दुकानदार अपनी-अपनी दुकानों को बंद करके भागने लगे। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में किया। दंगे में कई पुलिस कर्मी व अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इस दौरान पुलिस ने सुनील गुप्ता, विकास शाक्य, संता, रामलाल, मेघ सिंह कुशवाहा और शहजाद को मौके से गिरफ्तार कर लिया था।
मामले में 106 के नामजद और करीब 300 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। नामजदगी में आकाश का नाम नहीं था। मगर, चार्जशीट उसके खिलाफ ही लगाई। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से 11 गवाह पेश किए, जिनमें 10 पुलिस कर्मी, डॉक्टर का बयान थे। सभी ने उस दिन की घटना का समर्थन नहीं किया।
अकेला व्यक्ति कैसे कर सकता है बलवा
अदालत ने अपने निर्णय में लिखा है कि एफआईआर में 106 लोग नामजद थे। उनके खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल क्यों नही की? एक आकाश गुप्ता के नाम ही चार्जशीट दाखिल की गई। मामले में बलवा, जानलेवा हमला, 7 सीएल एक्ट सहित अन्य धारा के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। एक अकेला युवक कैसे बलवा कर सकता है? घायलों को मेडिकल साक्ष्य के तौर पर नहीं दिया गया। अदालत ने विवेचक की लापरवाही के चलते आरोपी आकाश को बरी करने के आदेश दे दिए।