from space scientists to common people are waiting for landing of Chandrayaan-3 In Agra

Chandrayaan 3
– फोटो : Amar Ujala

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चंदा मामा दूर के… बचपन से जिन्होंने यह गीत सुना, उन्होंने 1960 के दशक में अमेरिका और रूस के बीच चांद पर पहुंचने की होड़ भी देखी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मार्स मिशन का हिस्सा रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक आनंद राय ने अपने बचपन में अमर उजाला में रूस और अमेरिका के मून मिशन की खबरें पढ़ीं। 

चंद्रमा पर इंसान के कदम रखने से लेकर रोवर और लैंडर भी अमेरिका और रूस के उतरते देखे, लेकिन उनकी तरह अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि छह दशक तक दूसरे देशों के चंद्रयान और मून मिशन को देखने के बाद अब बारी हमारी है।

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बुधवार को आगरा के अंतरिक्ष विज्ञानियों से लेकर शिक्षाविद और आम लोगों को चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने का इंतजार है। शहर में जगह जगह मंदिरों में पूजा अर्चना और मनोकामना के लिए प्रार्थनाएं की जा रही हैं।

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जब नासा के मार्स मिशन से जुड़ा तब से यह उम्मीद लगाए थे कि अपने देश का झंडा भी चांद और मंगल पर फहराये। चंद्रयान का मिशन बेहद कठिन है और यह पहला मौका होगा, जब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कोई रोवर पहुंचेगा। मार्स मिशन के बाद चंद्रयान भी दुनिया में मिसाल कायम करेगा। -आनंद राय, पूर्व वैज्ञानिक, नासा

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इसरो ने हमेशा कठिन मिशन को अंजाम दिया है। पहली ही बार में मंगल तक पहुंचने के बाद अब चांद के साउथ पोल में उतरकर खोज करने का मिशन दुनिया में भारत की धाक को और बढ़ा देगा। अंतरिक्ष विज्ञान में यह भारत के महाशक्ति बनने का कदम साबित होगा। -अरुण सिकरवार, असिस्टेंट प्रोफेसर, डीईआई



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