कामाख्या स्पेशल ट्रेन में सवार एक साल के बच्चे की इटावा के पास अचानक तबीयत खराब हो गई। पिता ने रेलवे स्टाफ को सूचना दी लेकिन ट्रेन नहीं रोकी गई। अलीगढ़ में ट्रेन रोककर बच्चे को एंबुलेंस से जिला अस्पताल भेजा गया। यहां चिकित्सक ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। इसकी सूचना मिलते ही ट्रेन में सवार परिजनों व यात्रियों ने हंगामा शुरू कर दिया। ट्रेन 15 मिनट तक स्टेशन पर खड़ी रही।
फारूक निवासी मोहरा घाट थाना दीनाघाट न्यू कोच बिहार, पश्चिम बंगाल अपनी पत्नी व एक साल के बेटे आजम के साथ गाड़ी संख्या 05625 कामाख्या स्पेशल ट्रेन के कोच संख्या एच ए -1 में सफर कर रहे थे। ट्रेन के इटावा निकलने के बाद आजम की तबीयत अचानक खराब हो गई। पिता ने रेलवे स्टाफ को सूचना दी लेकिन स्टाफ ने रास्ते में ट्रेन नहीं रुकवाई। अलीगढ़ में ट्रेन रोककर बच्चे को जिला अस्पताल भेजा गया। इसके बाद जब ट्रेन चलने लगी तो इसमें सवार फारूक के परिजन व अन्य यात्रियों ने चेन पुलिंग कर ट्रेन रोक दी। उनका कहना था जब तक बच्चे की सेहत का पता नहीं चलेगा ट्रेन नहीं चलने देंगे।
अस्पताल में बच्चे को मृत घोषित करने पर जब फारूक ने इसकी सूचना ट्रेन में मौजूद अपने परिजनों व साथियों को दी तो वे हंगामा करने लगे। उनका आरोप था कि कोच कंडक्टर की लापरवाही से बच्चे की माैत हुई है। अगर ट्रेन पहले ही रोककर उपचार दी जाती तो बच्चे की जान बच सकती थी। हंगामे की सूचना पर आरपीएफ, जीआरपी पहुंच गई। किसी तरह यात्रियों को समझाकर ट्रेन को दिल्ली की ओर रवाना कराया गया। आरपीएफ पोस्ट कमांडर अमित कुमार सिंह ने बताया कि बच्चे को दंपती बिना किसी कार्रवाई के अपने साथ दिल्ली लेकर चले गए।