Children are becoming vulnerable to hypothermia

सएनसीयू वार्ड में हाइपोथर्मिया से पीड़ित नवजात का उपचार करती स्टाफ नर्स ।संवाद
– फोटो : संवाद

कासगंज। माता की गर्भावस्था के समय की लापरवाही नवजातों की सेहत पर भारी पड़ रही है। बच्चे हाइपोथर्मिया (अल्प ताप) के शिकार हो रहे हैं। यह संख्या जन्म के समय आने वाली बीमारियों में सबसे अधिक है। सर्दी के मौसम में बच्चों में यह दिक्कत और बढ़ गई है। नवजातों में 50 प्रतिशत तक बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। तीन दिन में इससे पीड़ित पांच बच्चे एसएनसीयू में भर्ती कराए गए हैं।नवजातों के जन्मजात रोग के इलाज के लिए एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया जाता है। इन दिनों सबसे अधिक बच्चे हाइपोथर्मिया की चपेट में आ रहे हैं। ठंड में बच्चों में यह दिक्कत और बढ़ गई है। इन दिनों धूप भी ठीक से नहीं निकल रही। इसका असर नवजातों पर तेजी से देखने को मिल रहा है। तीन दिन में हाइपोथर्मिया की चपेट में आए पांच नवजात एसएनसीयू में भर्ती हुए हैं।

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कंगारू मदर केयर है सहायक:

सीएमएस डाॅ. संजीव सक्सेना का कहना है कि जन्म के समय बच्चे का तापमान 96.8 डिग्री होना चाहिए। यदि बच्चे के जन्म के समय तापमान 95 डिग्री फैरेनहाइट से कम होता है तो ऐसे बच्चे हाइपोथर्मिया की चपेट में माने जाते हैं। ऐसे बच्चों के लिए विशेष केयर की आवश्यकता होती है। इस बीमारी में कंगारू मदर केयर सबसे अधिक सहायक होती है। मां शिशु को सीने से लगाकर अपने शरीर के तापमान से गर्माहट बनाए रखती है।



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