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किडनी, लीवर को भी नुकसान पहुंचाता है चाइनीज लहसुन। – फोटो : अमर उजाला
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चीन का प्रतिबंधित लहसुन शहर ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में खपाया जा रहा है। विशेश्वरगंज मंडी में रोजाना करीब 20 टन चीन के लहसुन की खपत है। रोजाना चोरी छिपे भारी गाड़ियों से लहसुन की ये खेप मंडी में पहुंच रही है और यहां से अलग-अलग जिलों में भेजी जा रही हैं। नेपाल, गोरखपुर के रास्ते चीन के लहसुन की गाड़ियां विशेश्वरगंज मंडी में पहुंच रही हैं।
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खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के लचर पर्यवेक्षण का फायदा चीन के लहसुन के तस्कर उठा रहे हैं। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और युवाओं से फेरी लगाकर भी चीन के लहसुन की बिक्री कराई जा रही है। इसके एवज में उन्हें अच्छा खासा कमीशन दिया जाता है। हालांकि पिछले हफ्ते पहड़िया मंडी में 63 क्विंटल चीन के लहसुन की खेप को मंडी सचिव की टीम ने पकड़ा था। इसे विशेश्वरगंज मंडी ले जाया जा रहा था।
शहर की विभिन्न मंडियों में देसी लहसुन की कीमत इस समय 320 से 360 रुपये किलो है। वहीं, चीन के लहसुन की कीमत 180 से 240 रुपये तक है। सस्ता होने के कारण चीन के लहसुन की मांग मंडी में ज्यादा है। यही कारण है कि प्रतिबंध होने के बावजूद मंडियों में चोरी छिपे इसकी बिक्री हो रही है। शहर की काॅलोनियों और वार्ड में ठेले और साइकिल पर भी फेरे लगाकर चीन के लहसुन बेचे जा रहे हैं।
लहरतारा के बेदौली, कोटवा, लोहता, रोहनिया, मंडुवाडीह और सामनेघाट क्षेत्रों में महिलाएं भी फेरी लगाकर चीन के लहसुन की बिक्री कर रही हैं। विशेश्वरगंज के कुछ व्यापारियों ने बताया कि चीन के लहसुन बिक्री के लिए कमीशन के तौर पर युवाओं और महिलाओं को लगाया गया है। कुछ बड़े व्यापारी एक से दो ट्रक माल रोजाना मंगवा रहे हैं। वह छोटे वाहनों या फिर ट्रांसपोर्ट के जरिये चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही, जौनपुर, गाजीपुर आदि जिलों में भेजते हैं। तकरीबन 20 टन माल की रोजाना खपत है।