chip developed in Jalma Institute which will tell whether there is cancer germ in genes or not

राष्ट्रीय जालमा कुष्ठ एवं अन्य माइकोबैक्टीरियल रोग संस्थान
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

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राष्ट्रीय जालमा कुष्ठ एवं अन्य माइकोबैक्टीरियल रोग संस्थान में डीएनए चिप विकसित की गई है। इससे कैंसर, टीबी और कुष्ठ के मरीज आसानी से चिह्नित हो सकेंगे। यह भी पता चल सकेगा कि आपके जीन में कैंसर और टीबी के कीटाणु हैं या नहीं। भविष्य में आपको बीमारी हो सकती है या नहीं।

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संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक और माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. डीएस चौहान ने बताया कि किसी भी जांच में टीबी, कैंसर और कुष्ठ की पुष्टि नहीं हो रही है तो डीएनए चिप से आसानी से पता चल सकेगा। इससे भविष्य में होने वाली बीमारी का भी पता चलता है। इसमें करीब 20 हजार लोगों के डीएनए की एक साथ जांच कर सकते हैं। लैब में स्लाइड पर अलग-अलग लोगाें के डीएनए रखते हैं। इस पर रोबोट से टीबी, कैंसर और कुष्ठ के कीटाणुओं को रखा जाता है। 

बीमारी के कीटाणु लोगाें के डीएनए के संपर्क में आने पर टीबी-कैंसर और कुष्ठ से संक्रमितों का डीएनए रंग बदलने लगता है। ये गहरे रंग का हो जाता है। इसका मतलब इनमें बीमारी पनप चुकी है। जिनके डीएनए का रंग हल्का है, उनको भविष्य में कैंसर, टीबी और कुष्ठ की बीमारी होने का खतरा है। इस जांच से संभावित मरीज समय रहते इलाज कराते हुए बीमारी से बच सकते हैं। संस्थान की प्रभारी निदेशक प्रो. शालिनी सिंह ने बताया कि संस्थान में यहां टीबी, कुष्ठ, एचआईवी की बीमारियों पर शोध होता है। अभी यहां कुष्ठ रोगियों का निशुल्क इलाज हो रहा है।

 



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