
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
– फोटो : amar ujala
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव 2024 के पहले केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए बजट की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस बजट में नए भारत को दुनिया का ग्रोथ इंजन बनाने का रोड मैप दिखाया गया है। इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी का आभार भी जताया है।
उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में ‘विकसित भारत’ का विजन, अंत्योदय का संकल्प और ‘नए भारत’ को दुनिया का ग्रोथ इंजन बनाने का ‘रोड मैप’ है।
नए भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का मार्ग प्रशस्त करते इस लोक-कल्याणकारी बजट के लिए प्रधानमंत्री जी का हार्दिक आभार एवं वित्त मंत्री जी का धन्यवाद!
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में मा. केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती @nsitharaman जी द्वारा आज प्रस्तुत अंतरिम बजट में ‘विकसित भारत’ का विजन, अंत्योदय का संकल्प और ‘नए भारत’ को दुनिया का ग्रोथ इंजन बनाने का ‘रोड मैप’ है।
नए भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की…
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 1, 2024
इस मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि ये मोदी सरकार का विदाई बजट है। उन्होंने एक्स पर कहा कि कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है। भाजपा सरकार ने जनविरोधी बजटों का एक दशक पूरा करके एक शर्मनाक रिकार्ड बनाया है, जो फिर कभी नहीं टूटेगा क्योंकि अब सकारात्मक सरकार आने का समय हो गया है। ये भाजपा का ‘विदाई बजट’ है।
कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है।
भाजपा सरकार ने जनविरोधी बजटों का एक दशक पूरा करके एक शर्मनाक रिकार्ड बनाया है, जो फिर कभी नहीं टूटेगा क्योंकि अब सकारात्मक सरकार आने का समय हो गया है।
ये भाजपा का ‘विदाई बजट’ है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 1, 2024
वास्तविकता से दूर है बजट
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लोकसभा चुनाव से पूर्व, संसद में आज पेश बजट जमीनी वास्तविकता से दूर चुनावी लुभावने वाला ज्यादा है। इस प्रकार, देश की जनता की अपार गरीबी, बेरोजगारी व बढ़ती हुई महंगाई से त्रस्त जीवन को नकारना अति-दुःखद व चिंतनीय है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, देश की अर्थव्यवस्था व विकास संबंधी सरकारी दावों व वादों में जमीनी सच्चाई होती तो फिर यहां के 80 करोड़ से अधिक लोगों को फ्री में राशन का मोहताज जीवन जीने को मजबूर नहीं होना पड़ता।