
जवाब देते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
– फोटो : amar ujala
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि प्रदेश सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रसोइयों और सहायिका की अन्य आय को बढ़ाने पर फोकस कर रही है। सपा सदस्य राजेंद्र प्रसाद चौधरी द्वारा इस बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में इससे पहले बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि इनका मानदेय बढ़ाने को लेकर फिलहाल कोई विचार नहीं हो रहा है। वर्तमान में दिया जाने वाला भुगतान मानदेय आधारित है और न्यूनतम मजदूरी भुगतान के नियमों के दायरे में नहीं आता है।
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योगी ने कहा कि वर्ष 2012 से 2017 तक सपा सरकार थी। तब रसोइयों का मानदेय 500 रुपए से भी कम था। आपने दूसरा अन्याय ये किया कि जिनके बच्चे नहीं पढ़ेंगे, उनको सेवा से हटा दिया जाएगा। उनके चयन में भी भेदभाव करते थे। हमारी सरकार ने 2022 में उनके मानदेय को न्यूनतम 2 हजार रुपए किया। इन सभी ने कोरोना काल में अपनी सेवाओं के माध्यम से शासन की योजनाओं को प्रत्येक परिवार तक पहुंचाने में अभिनंदनीय काम किया है।
हमने इनके मानदेय में वृद्धि भी की है और इन्हें टैबलेट से आच्छादित करने के साथ साथ अतिरिक्त आय का प्रावधान भी किया है। हमने प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत सचिवालय का निर्माण किया है। इसका उद्देश्य ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गांव को ही स्वावलंबी बनाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना को साकार किया जा सके। वहां पर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में पंचायत सहायक रखा गया है। बीसी सखी रखी गई है, जो गांव के अंदर बैंकिंग लेनदेन का कार्य करती है।
हमने 6 महीने के लिए उन्हें एक निश्चित मानदेय के साथ जोड़ा, लेकिन जब बैंक से उनका कमीशन बन गया तो वह अच्छी आय अर्जित कर रही हैं। सुल्तानपुर की एक बीसी सखी अब तक 15.50 लाख रुपए से अधिक का कमीशन प्राप्त कर चुकी है। पंचायत सहायक को भी हम 6 हजार रुपए प्रतिमाह देते हैं। साथ ही जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, खतौनी की नकल और अन्य सभी योजनाओं को जिनकी वह ऑनलाइन सर्विस उपलब्ध करा रहा है, उससे भी अतिरिक्त आय हो रही है।