
कोर्ट फैसला
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उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में 26 साल पहले महिला की दहेज के लिए हत्या कर दी गई थी। मुकदमे में एफटीसी प्रथम के जज कुलदीप सिंह ने पति, सास, देवर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उन पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सजा सुनाने के बाद तीनों को जेल भेजा गया है।
घटना थाना कोतवाली क्षेत्र के गांव बैजनाथपुर की थी। गांव के रहने वाले मनोज कुमार की शादी शकुंतला के साथ हुई थी। शकुंतला के पिता बनवारीलाल के अनुसार पति मनोज, सास रेशमा, ससुर दलवीर सिंह, देवर संजू, ननद मंजू ने 18 जुलाई 1998 को शकुंतला को दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर हत्या करने के बाद शव को जला दिया। पुलिस ने जांच में ननद मंजू का नाम निकाल दिया। पति, देवर, सास, ससुर के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में भेज दी। मुकदमे की सुनवाई एफटीसी प्रथम के जज कुलदीप सिंह के न्यायालय में हुई।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान ससुर दलवीर सिंह की मृत्यु हो गई। अभियोजन पक्ष की ओर से वादी, विवेचक, चिकित्सक सहित गवाहों ने पति, सास और देवर केे खिलाफ कोर्ट में गवाही दी। गवाही के आधार पर उनको दहेज मृत्यु का दोषी पाया गया। एफटीसी प्रथम के जज कुलदीप सिंह ने पति, सास, देवर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उन पर 25-25हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सजा सुनाने के बाद तीनों को जेल भेजा गया है।
सबूत मिटाने में तीन साल की सजा
शकुंतला की शादी 17 जून 1997 को हुई थी। एक साल बाद 18 जुलाई 1998 को उसको मारने के बाद शव को जला दिया गया। शव जलाकर सबूत मिटाने के आरोप में मनोज, संजू और रेशमा को तीन तीन साल की सजा एफटीसी प्रथम के जज कुलदीप सिंह ने सुनाई है।